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Published : Jan 15, 2021, 7:54 PM IST

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SPECIAL : बसों में शो-पीस बन गए हैं फर्स्ट एड बॉक्स...कहीं दवा नहीं, कहीं बना टूल बॉक्स

कोटा में निजी और रोडवेज बसों में फर्स्ट एड बॉक्स की क्या स्थिति है. इसका जायजा लिया ईटीवी भारत ने. इस अभियान में यह सामने आया कि न तो सरकारी बसों में नियमों का पालन हो रहा है और न ही प्राइवेट बसों में. कई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स ही नहीं था. अधिकतर बसों में यह शो-पीस की तरह ही नजर आया.

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कई बसों में खाली मिले एड बॉक्स

कोटा. परिवहन विभाग सार्वजनिक परिवहन के संसाधनों में भारी-भरकम नियमावली लगा देता है. लेकिन इन नियमों की पालना सड़क पर होती कहीं भी नजर नहीं आती. ईटीवी भारत ने इसी संबंध में कोटा में फर्स्ट एड से संबंधित सुविधाओं का बसों में जायजा लिया. सामने आया कि न तो सरकारी बसों में नियमों की पालना हो रही है न ही प्राइवेट बसों में. फर्स्ट एड बॉक्स हमें अधिकतर शो-पीस ही नजर आए. देखिये यह खास रिपोर्ट...

बस में शो-पीस बने प्राथमिक उपचार बॉक्स (भाग 1)

दुर्घटनाएं दे रहीं सबक

बीते कुछ दिनों में ही कोटा संभाग में बस हादसे की दो घटनाएं घट चुकी हैं. दोनों ही बसों में फर्स्ट एड बॉक्स नहीं था. दरा के नजदीक रात 1:30 बजे के आसपास बस पलट गई थी. जिसमें सवार यात्रियों को चोटें भी आईं. उन्हें प्राथमिक उपचार की आवश्यकता थी. लेकिन बस में यह सुविधा नहीं मिल सकी. नजदीकी उपचार केंद्र भी रात होने के कारण बंद थे. ऐसे में यात्रियों को दूसरे संसाधनों की मदद लेनी पड़ी. यात्रियों के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान भी थे. प्राथमिक उपचार उन्हें नहीं मिल पाया.

सिर्फ शो-पीस बनकर रह गए हैं एड बॉक्स

फर्स्ट एड बॉक्स को बना दिया टूल बॉक्स

ईटीवी भारत की टीम ने सीबी गार्डन के बाहर खड़ी बसों में फर्स्ट एड बॉक्स का जायजा लिया. उनमें एक में भी फर्स्ट एड की सुविधा नहीं मिली. यहां तक कि कुछ बसों में फर्स्ट एड बॉक्स तो लगे ही नहीं थे. जिनमें फर्स्ट एड बॉक्स लगे थे उनमें प्राथमिक उपचार के लिए रखे जाने सामग्री नहीं थी. जब फर्स्ट एड बॉक्स को खोलकर देखा तो अधिकांश खाली थे. अधिकांश में तो ड्राइवर और कंडक्टर के सामान रखे मिले. कुछ में कंबल और चादर थे. तो कुछ में टूल बॉक्स रखे हुए थे.

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रोडवेज बसों में एक्सपायरी डेट की सामग्री

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों के तो हालात और भी बुरे हैं. उनमें तो बॉक्स केवल दिखाने के लिए लगाए हुए हैं. धूल जमी हुई है, एक दो बसें तो ऐसी हैं जिनमें इस तरह के बॉक्स भी नहीं है. कोटा में रोजाना 200 के आसपास रोडवेज बसें गुजरती हैं, लेकिन बहुत कम बसों में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा है. एक बस के परिचालक ने कहा कि उन्हें रोडवेज ने अपने बैग में रखने के लिए उपचार सामग्री दी है. हालांकि जब उसकी जांच की गई तो सभी सामग्री एक्सपायर हो चुकी थी. रोडवेज परिचालक पूरणमल बैरवा का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में रोडवेज के अधिकारियों को कई बार कहा है कि बॉक्स में सामग्री उपलब्ध करवाई जाए. लेकिन अभी तक यह उपलब्ध नहीं कराई गई है.

कई ड्राइवरों को पता ही नहीं बॉक्स में होता क्या है

ड्राइवर बोला- ये क्या होता है

ईटीवी भारत ने कुछ ड्राइवरों से बातचीत की और उनसे फर्स्ट एड बॉक्स के बारे में पूछा. कुछ ड्राइवर तो ऐसे थे जिन्हें फर्स्ट एड बॉक्स का मतलब ही नहीं पता. कुछ ऐसे भी थे जिन्हें यह पता नहीं था कि फर्स्ट एड बॉक्स में प्राथमिक उपचार के लिए क्या सामग्री होनी चाहिए. कुछ ने बहाना बनाया कि बस को रिपेयर होने भेजा था, तभी मिस्त्री ने बॉक्स निकाल दिया होगा. अब दोबारा लगवाएंगे.

ड्राइवर ने फोड़ा कंपनी के सिर ठीकरा

जायजा लेते हुए ईटीवी भारत को ऐसे ड्राइवर भी मिले जिन्होंने कहा कि गाड़ी में फर्स्ट एड बॉक्स नहीं है तो यह कंपनी की गलती है. कंपनी को बॉक्स लगाकर देना चाहिए. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कंपनी ने उनके साथ धोखाधड़ी की है. कुछ ड्राइवरों ने बॉक्स पर फर्स्ट एड बॉक्स लिखवा कर छोड़ दिया है. इसमें सामग्री क्या होनी चाहिए, उन्हें पता नहीं है. कुछ ड्राइवरों ने कहा कि जब भी किसी यात्री की तबीयत बिगड़ती है या कुछ होता है, तो उसे तुरंत नजदीक के क्लीनिक पर ले जाकर इलाज करवाते हैं और पैसा हम देते हैं.

कई बसों में खाली मिले एड बॉक्स

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वाहन के फिटनेस के वक्त जरूरी है फर्स्ट एड बॉक्स दिखना

हर साल वाहनों का फिटनेस करवाया जाता है. इस दौरान फिटनेस करने वाली संस्था या अधिकारी यह देखते हैं कि बस या वाहन सड़क पर चलने लायक है या नहीं. इसी दौरान फर्स्ट एड बॉक्स को भी देखना और उसके अंदर रखी हुई सामग्री एक्सपायर है या नहीं या पूरी है या नहीं. यह देखने की जिम्मेदारी भी सर्टिफिकेट देने वाली संस्था की होती है. लेकिन उस दौरान भी इस बात को नजरअंदाज कर दिया जाता है या फिर जो ड्राइवर दूसरे का ही फर्स्ट एड बॉक्स ले जाते हैं और उसे फिटनेस बनवा लेते हैं. उसके बाद वापस लौटा देते हैं. हमेशा फर्स्ट एड बॉक्स का उपयोग नहीं करते हैं.

अधिकारी बोले- जांच करवाएंगे

इधर परिवहन विभाग के अधिकारियों का रटा रटाया जवाब है. कोटा की प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कुसुम राठौड़ का कहना है कि वे इस संबंध में पूरी बसों का निरीक्षण करवाएंगी. साथ ही कहा कि बसों में फर्स्ट ऐड बॉक्स जरूरी है. सभी यात्री वाहनों में जरूरी है. ऐसे में जिस भी बस में नहीं मिलेगा, बस मालिक को कहकर उसमें फर्स्ट एड बॉक्स लगवाएंगे. साथ ही उसके अंदर होने वाली सभी सामग्री भी अंदर रहे इस की पर्याप्त व्यवस्था कर दी जाएगी. इसके लिए बस मालिक एसोसिएशन को भी पाबंद कराया जाएगा. दूसरी तरफ बस मालिक एसोसिएशन के संभागीय अध्यक्ष सत्यनारायण साहू का कहना है कि बसों के रिपेयर के दौरान यह फर्स्ट एड बॉक्स हट जाता है, लेकिन वह सभी बस मालिकों से कहकर बसों में इसे जरूर लगवाएंगे. एसोसिएशन के पदाधिकारियों की ड्यूटी इस कार्य के लिए लगाएंगे.

बसों में स्पीकर टांगने के काम आ रहा एड बॉक्स

फर्स्ट एड बॉक्स में यह सामान होनाा जरूरी

फर्स्ट एड बॉक्स में अलग अलग तरह की पट्टियां, कॉटन, बैंडेज, सेफ्टी पिन, डिस्पोजेबल विसंक्रमित दस्ताने, चिमटी कैंची, पोंछने के लिए कपड़ा, चिपकने वाली मेडिकल टेप, थर्मामीटर, स्प्रिट त्वचा पर चक्कतों के लिए उपयोग की जाने वाली हाइड्रोकोर्टीसोन और कैलेंडुला दवा, कीड़ों के काटने पर उपयोग की जाने वाली क्रीम या स्पे, एंटीसेप्टिक क्रीम, पेरासिटामोल, एस्पिरिन, आइव्युप्रोफेन और खांसी की दवा होना जरूरी है.

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