कोटा. शहर में रियस इस्टेट का कारोबार बढ़ने के साथ विकास की गति भी बढ़ रही है. नई-नई कॉलोनियां बसने के साथ शहर का भी विस्तार हो रहा है, लेकिन इनमें अधिकांश कॉलोनियां अवैध रूप से बसाई जा रहीं हैं, जो कि नगर विकास न्यास से ना तो अनुमोदित हैं और ना इनका लेआउट प्लान पास करने के लिए आवेदन किया गया है. हाल ही में नगर विकास न्यास ने इस संबंध में सर्वे करवाया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. शहर में 491 कॉलोनियां अवैध रूप से विकसित पाई गईं हैं. हालांकि अभी भी नगर विकास न्यास का सर्वे जारी है और अधिकारियों का दावा है कि अवैध कॉलोनियों की संख्या और बढ़ सकती हैं.
यूआईटी के पास ही है रोकने का जिम्मा
यूआईटी के पास इन अवैध कॉलोनियों को बसने से रोकने का जिम्मा है, लेकिन जब अधिकारी ही इन कॉलोनियों का सर्वे करवा रहे हैं तो अब साफ है कि कालोनियां बनने के समय यह देखने वाला कोई नहीं था या फिर यूआईटी की मौन स्वीकृति थी. कोटा शहर की बात की जाए तो बारां रोड, बोरखेड़ा, नया नोहरा, मानपुरा, देवली अरब रोड, रायपुरा, कैथून रोड, थेकड़ा, भदाना, रंगतालाब, काला तालाब, बालिता रोड, कुन्हाड़ी, नांता, कंसुआ में एरिया में इस तरह की कॉलोनियों की अवैध प्लॉटिंग हो रही है जहां पर धड़ल्ले से लोग मकान भी बनवा रहे हैं. ना तो इन अवैध कॉलोनियों में नगर विकास न्यास किसी निर्माण की स्वीकृति देता है और ना किसी तरह की सुविधाएं देने का वादा करता है.
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कृषि भूमि पर नहीं करवाते हैं कन्वर्जन
नगर विकास न्यास के उप सचिव चंदन दुबे का कहना है कि कृषि भूमि पर बिना कन्वर्जन और 90 ए के तहत भूमि को यूआईटी के सुपुर्द नहीं किया जाता है और लेआउट प्लान पास नहीं करवाया जाता है, तब तक कॉलोनियां अवैध ही मानी जाती हैं. अधिकांश निजी खातेदार अपनी जमीन के छोटे टुकड़े कर प्लॉट के रूप में रूप में लोगों को बेच रहे हैं. कई बार यह बात भी सामने आती है कि मास्टर प्लान में इन जमीनों का लैंड यूज़ कुछ और होता है जिसके चलते भी यह कॉलोनियां अनुमोदित नहीं हो पाती हैं. कई जगह ऐसी हैं जहां पर ग्रीनलैंड या फिर दूसरे उपयोग की भूमि पर आवासीय कॉलोनियां बस जाती हैं. इससे भी लोगों को ही समस्या होती है.
शिकायत मिलने पर कार्रवाई करती है यूआईटी
नगर विकास न्यास के तहसीलदार कैलाश प्रसाद मीणा का कहना है कि उन्हें जब भी शिकायत मिलती है या फिर वे जब एरिया में राउंड के लिए निकलते हैं, तब इस तरह की गैर अनुमोदित कॉलोनियां मिलती हैं, तो वह अवैध प्लाटिंग का बोर्ड लगाने का काम करते हैं. साथ ही लोगों को सचेत करते हैं ताकि कोई वहां भूखंड न खरीदें क्योंकि बाद में कॉलोनी या अनुमोदित नहीं हो पाती हैं और लोगों को नुकसान होता है.
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विकास कार्य में भी आती है समस्या
यहां कॉलोनियां बस गई हैं और यहां के बाशिंदे वोटर भी हैं. ऐसे में चुनाव के समय ऐसी कॉलोनियों का अनुमोदन करने के वादे भी राजनेता करते हैं. क्योंकि अच्छे खासे वोट उन्हें यहां से मिलते हैं. जो भी पार्टी की सरकार होती है उसके राजनेता इन कॉलोनियों को विकसित करने के लिए यहांं पर विकास कार्य करवाने के लिए दबाव भी नगर विकास न्यास पर बनाते हैं, लेकिन गैर अनुमोदित कॉलोनियों में वह भी निर्माण नहीं करवा सकते हैं. यह समस्या भी यूआईटी के सामने आती है. हालांकि कई ऐसी कॉलोनियां है, जिनमें राजनीतिक दबाव में आकर कई विकास कार्य यूआईटी ने करवाए हैं.