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लॉकडाउन के चलते Scrap कारोबारी भी संकट में, आधी रह गई Stock में रखे माल की कीमत

कोटा में स्क्रैप (Scrap) (रद्दी माल) के धंधे में अभी भी मंदी चल रही है. लोग अब स्क्रैप को देने से भी डर रहे हैं. क्योंकि किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात करने की भी मनाही है. ऐसे में लोगों के घरों पर कबाड़ा है, लेकिन वे उसे दे नहीं रहे हैं. ऐसे में उनके पास जो स्क्रैप स्टॉक में था, वह भी आधे दाम का ही रह गया है.

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Scrap कारोबारी भी संकट में

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Published : Jun 13, 2020, 10:07 PM IST

कोटा.लॉकडाउन के बाद व्यापार पटरी पर आने की कोशिश कर रहा है. लेकिन स्क्रैप धंधा अभी भी मंदा ही चल रहा है. लोगों को स्क्रैप देने से भी डर लग रहा है. उन्हें डर है कि यदि वे बाहरी व्यक्ति से बात करेंगे तो कोरोना होने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में लोगों के घरों पर कबाड़ा है, लेकिन वह उसे दे नहीं रहे हैं.

Scrap कारोबारी भी संकट में

व्यापारियों का कहना है कि अब बाजार में कपड़े के आइटम का भी दाम कम हो गया है. उनके पास जो स्क्रैप स्टॉक में था, वह भी आधे दाम का ही रह गया है. इसके चलते छोटे और मध्यम व्यापारियों को 50 हजार से एक लाख रुपए और बड़े व्यापारियों को 5 से 7 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. ट्रांसपोर्टेशन नहीं चलने से भाव बढ़ने की जगह कम हो रहे हैं. मजबूरी में जिस माल को भेजा जाता है, उसका भी किराया ज्यादा लग रहा है.

फेरी वाले को नहीं मिल रहा माल

बोरखेड़ा इलाके में स्क्रैप दुकानदार बहादूर सिंह का कहना है कि कोरोना के बाद में 40 फीसदी ही माल आ रहा है. पहले जहां एक टन के करीब आता था, वो कम हो गया. फेरी वालों को भी अब माल नहीं मिल रहा है. लोगों को उन्हें माल देने में भी डर लग रहा है. Social Distancing पालन करते हुए उनसे भी दूरी बनाकर रह रहे हैं.

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खर्चा पानी चलाने में भी परेशानी

फेरी वाले राजेश का कहना है कि पहले 10 से 15 हजार की मेरी गाड़ी बैठ जाती थी, अभी 5 हजार की गाड़ी बैठ रही है. बहुत मुसीबत आ रही है, क्योंकि भाव भी पूरा नहीं मिल रहा है. ढाई महीने से घर पर बैठे हैं, किराया और खर्चा भी काफी हुआ. अब धंधा भी नहीं चल रहा है. इसी तरह से दूसरे फेरी वालों का कहना है कि उसे रोज नुकसान हो रहा है, लेकिन क्या करें काम धंधा पर तो जाना ही पड़ेगा. माल को लाने में जितने रुपए का खर्चा होता है, उतना पैसा भी नहीं निकल रहा है.

एक क्विंटल माल पर 50 रुपए ही बच रहे

एक क्विंटल माल पर 50 रुपए ही बच रहे

नयापुरा पुलिया के नीचे फेरी लगाने वाले अमीर अली का कहना है कि धंधा बिल्कुल मंदा है. भाव भी कम चल रहे हैं. पहले जहां तीन-चार हजार का माल आ रहा था. वहीं अब 800 से एक हजार का भी नहीं आता है. डेढ़ सौ रुपए अब हमारे बच रहे हैं. गत्ते का भी भाव कम चल रहा है. कांच की बोतलों का अब नग से तिल पर आ गया है. साढ़े तीन रुपए किलो के हिसाब से खरीद रहे हैं. एक Quitnal माल पर महज 50 रुपए ही बच रहे हैं.

आधी रह गई माल की कीमत

मुनाफे का अधिकांश हिस्सा ट्रांसपोर्टेशन में जा रहा

छावनी विशाल मार्केट में स्क्रैप का व्यापार कर रहे मजहर हुसैन का कहना है कि पहले टर्न ओवर 50 से 60 हजार के बीच था. अब यह 10 से 15 हजार रह गया है, जो माल जाता था उसमें मार्जिन भी कम हो गया है. अब उसमें 50 फीसदी का नुकसान होने लग गया है. सरकार जीएसटी बिल माफ करे और हमें भी छूट दे. ताकि बिजनेस को लाइन पर लाया जा सके. लोन की गाइडलाइन जल्द से जल्द जारी हो.

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माल स्क्रैप व्यापारी सखावत हुसैन कुरेशी का कहना है कि धंधा लॉकडाउन के बाद से कमजोरी चल रहा है. लोग डरे हुए भी हैं और फंसे हुए भी हैं. यातायात चालू नहीं हुआ है. ऐसे में हमारा माल दिल्ली नहीं जा पा रहा है. मैं अधिकांश माल को दिल्ली ही भेजता हूं. ऐसे में धंधा कमजोर ही है, लोहा भी निकलता है. हम व्यापारी को भेजते हैं, अभी दिल्ली का बाजार बंद है. मंदी का ही दौर अभी चल रहा है.

खर्चा पानी चलाने में भी परेशानी

दुकानें बंद करने की नौबत

मासूम भाई का कहना है कि जिस दर पर माल लिया था, आज की रेट उससे भी कम हो चुकी है. हर आइटम में 10 रुपए तक का फर्क आ गया है. मार्केट में हर आदमी डरा हुआ है. दुकानों का किराया भी जेब से ही देना पड़ रहा है. हमारे पास मजदूरों को देने के लिए पैसा नहीं है. दुकान बंद करने की नौबत आ गई है.

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