जिले के अनुसार मौत का आंकड़ाकोटा. कोरोना से अभी पूरा देश उबर भी नहीं पाया है कि डेंगू ने तेजी से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. अस्पतालों में डेंगू वार्डों में बेड भी भरने लगे हैं. मरीजों में बच्चों की संख्या में भी अधिक देखने को मिल रही है. अभी तक डेंगू के 95 मामले कोटा संभाग में सामने आ चुके हैं. इनमें 66 मरीज कोटा के हैं. डॉक्टर भी डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं और लोगों को डेंगू से बचाव के लिए लगातार दिशा-निर्देश दे रहे हैं.
संभाग में वर्ष 2017 और 2019 में डेंगू ने जमकर कहर बरपाया था. वर्ष 2017 में 9 लोगों की जान भी डेंगू के चलते गई थी जिनमें से 8 कोटा के ही निवासी थे. जबकि 2018 में भी चार लोगों की मौत होने का मामला सामने आया था. ऐसे ही हालात इस बार भी नजर आ रहे हैं. बीते साल कोविड-19 के चलते डेंगू जैसी घातक बीमारी का प्रकोप कम रहा. पूरे संभाग में महज 27 मामले ही सामने आए थे, जबकि इस साल भी डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
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घरों में पनप रहे मच्छर
डेंगू से बचाव के लिए डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को आसपास पानी जमा न होने देने और सफाई रखने की हिदायत दे रहे हैं. डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट खुलासा करती है कि घरों में ही सबसे ज्यादा डेंगू के मच्छर उत्पन्न हो रहे हैं. घरों के आसपास ही लाखों की संख्या में एडीज मच्छर का लार्वा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को मिला है. इसका असर कोटा संभाग के सरकारी और निजी अस्पतालों में साफ नजर आ रहा है. यहां बेड फुल हो चुके हैं और अभी भी लगातार डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं.
सबसे ज्यादा कूलर में मिल रहा एडीज का लार्वा
कोटा के डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम मीणा का कहना है कि कूलर, परिंडे, गमले, फ्रिज की ट्रे, छत पर रखे कबाड़ में डेंगू के एडीज मच्छर सबसे ज्यादा पनप रहे हैं. यहीं पर एडीज मच्छर का सर्वाधिक लार्वा मिला है. डॉ. मीणा का यह भी कहना है कि वर्ष 2019 में भी जब डेंगू आउटब्रेक हुआ था तो ज्यादातर डेंगू का लार्वा घरों के बाहर जानवरों को पानी पिलाने के लिए रखे गए पानी के पात्रों में मिला था. जबकि इस बार डेंगू का लार्वा सबसे ज्यादा कूलर में मिल रहा है. वह लोगों से अपील करते हैं कि कूलर के पानी को हर 7 दिन में जरूर बदल दें.
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रोज 700 से 800 जगह मिल रहा लार्वा
डिप्टी सीएमएचओ का यह भी कहना है कि जगह-जगह उन्होंने 80 डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर रखे हुए हैं और पूरे शहर व ग्रामीण इलाके में भी जाकर जांच कर रहे हैं. उनका कहना है कि रोज 15,000 से ज्यादा घरों की जांच जिले में हो रही है. इनमें 700 से 800 जगह पर लार्वा उन्हें मिलता है जो कि काफी बड़ी संख्या है. इन सब जगह पर 'एंटी लार्वा एक्टिविटी' भी टीम की ओर से की जा रही है. साथ ही जहां पर लार्वा से मच्छर पनप रहे हैं वहां पर नगर निगम की मदद से फॉगिंग भी करवाई जा रही है.
प्लॉटों में भरा पानी भी बढ़ा रहा परेशानी
कोटा शहर की सैकड़ों कॉलोनियों में हजारों की संख्या में प्लॉट खाली पड़े हुए हैं और बारिश के कारण इनमें पानी भर गया है. अब प्लॉटों से पानी निकासी नहीं होने से यहीं डेंगू के मच्छरों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. इन प्लॉटों में बड़ी मात्रा में एडीज मच्छर का लार्वा पनप रहा है. हालांकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि वह ऐसे सभी प्लॉटों का सर्वे करवा रहे हैं और जरूरी स्थानों पर एंटी लार्वा एक्टिविटी के तहत जला हुआ तेल डाला जा रहा है.