कोटा.ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत कोटा बाईपास के समीप चंबल नदी पर बने हैंगिंग ब्रिज को शुरू हुए तीन साल हो गए. लेकिन अभी भी सुरक्षा मानकों के लिए बनने वाले टोल प्लाजा का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में 231 करोड़ रुपए की लागत से बिना पिलर के बने इस हैंगिंग ब्रिज पर खतरा मंडरा रहा है.
तीन साल से खतरे में हैंगिंग ब्रिज बता दें कि हैंगिंग ब्रिज के दोनों छोर पर अस्थाई टोल प्लाजा ही बनाए हुए हैं. ये अस्थाई टोल प्लाजा राम भरोसे चल रहा है. हालांकि जब तक स्थाई टोल प्लाजा नहीं बन जाता, तब तक ब्रिज पर खतरा बना रहेगा.
टोल प्लाजा पर होगी सेंसर और मूवमेंट की निगरानी
हैंगिंग ब्रिज पर हवा का दबाव और ब्रिज की मूवमेंट के साथ-साथ उसके एलाइनमेंट की जांच को लेकर भी कई सेंसर लगे हुए हैं, जिनकी मॉनिटरिंग लगातार 24 घंटे जारी रहती है. इन एलाइनमेंट या सेंसर के जरिए ब्रिज पर निगरानी रखी जाती है. इन सबके लिए भी पूरा एक कंट्रोल रूम बनकर तैयार होना है, जो भी टोल प्लाजा पर ही स्थापित होगा, लेकिन टोल तैयार नहीं होने से कंट्रोल रूम भी नहीं बन पा रहा है.
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टोल प्लाजा से ही होनी है सीसीटीवी कैमरा की मॉनिटरिंग
हैंगिंग ब्रिज के सुरक्षा को देखते हुए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिनका पूरा मॉनिटरिंग सिस्टम भी टोल प्लाजा पर ही स्थापित होगा. ताकि कोई भी व्यक्ति या वाहन ब्रिज पर किसी तरह की कोई गड़बड़ न कर सके. साथ ही वाहनों के अनावश्यक रुकने पर तुरंत उन्हें आगे रवाना करने के लिए टोल प्लाजा से ही टीम जाए. ऐसे में पूरा सिस्टम अभी काम नहीं कर पा रहा है. क्योंकि टोल प्लाजा पर किसी भी तरह की कोई सीसीटीवी की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.
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हैंगिंग ब्रिज से हर घंटे करीब 100 से ज्यादा वाहन गुजरते हैं, शाम के समय यह संख्या बढ़ जाती है. इसके चलते ब्रिज से अभी दो लेन का ही टोल प्लाजा चलाया जा रहा है. जहां पर बड़ा भारी वाहन आने पर टोल वसूली करने में समय लग जाता है. इसके चलते लंबा जाम शाम के समय देखने को मिलता है. कई बार यह लाइन 500 मीटर से भी ज्यादा लंबी चली जाती है. ऐसा टोल के दोनों छोर नयागांव और नांता में होता है. ऐसे में यहां से गुजरने वाले वाहनों को टोल चुका कर जाने में ही 15 से 20 मिनट का समय चला जाता है. जबकि अधिकांश वाहनों में ही फास्टैग लगे होते हैं.
एनएचएआई के अधिकारियों की बात माने तो पहले इस टोल प्लाजा के निर्माण पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और चंबल घड़ियाल अभ्यारण के चलते वन विभाग ने आपत्ति लगाई हुई थी. ऐसे में परमिशन के लिए काफी मशक्कत हुई. आखिर 3 साल बाद टोल प्लाजा को परमिशन मिली है. इसमें 23 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें टोल पर होने वाली सभी सुविधाएं तैयार की जाएंगी.
टोल प्लाजा पर होगी सेंसर और मूवमेंट की निगरानी 2 महीने पहले हो गया वर्क आर्डर, लेकिन काम शुरू नहीं
हैंगिंग ब्रिज टोल प्लाजा 5-5 लेन का दो जगह बनेगा. इसमें कोटा से चित्तौड़गढ़ की तरफ जाने वाला टोल प्लाजा नया गांव में बनेगा. वहीं चित्तौड़गढ़ से कोटा आने वाले वाहनों के लिए नांता में बनेगा. इसके लिए दो महीने पहले अगस्त माह में ही वर्क आर्डर गुजरात की कंपनी अपेक्स प्राइवेट लिमिटेड को जारी कर दिया गया है, लेकिन कार्य अभी भी शुरू नहीं हुआ है.
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कंसल्टेंट की नियुक्ति से काम नहीं हो रहा शुरू
एनएचएआई नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोटा प्रोजेक्ट मैनेजर जेपी गुप्ता का कहना है कि एक साल का समय टोल निर्माण के लिए दिया गया है. एनएचएआई ने 27 अगस्त को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया, लेकिन कोरोना के चलते भी काम शुरू नहीं हो पाया है. साथ ही कंसल्टेंट की नियुक्ति भी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को करनी है, जिसमें देरी हुई है. इसके चलते काम शुरू नहीं हुआ है. जल्द ही एनएचएआई नई दिल्ली हेड क्वार्टर से कंसल्टेंट की नियुक्ति हो जाएगी. उसके बाद काम तुरंत शुरू होगा.