कोटा. कोटा संभाग में लहसुन की खेती में अग्रणी है और यहां के किसान लहसुन के बंपर उत्पादन से पूरे भाव नहीं मिलने की समस्या से भी परेशान रहे हैं. पिछले सालों में जहां किसानों को लहसुन के भाव नहीं मिलने के कारण उससे मोहभंग ही रहा है. इस बार किसानों में लहसुन उत्पादन को लेकर रुचि बढ़ी है.
अच्छे भाव के चलते बढ़ रहा कोटा संभाग में लहसुन का रकबा क्योंकि साल 2019 में किसानों को अच्छे भाव लहसुन के मिले हैं. वहीं साल 17 और 18 की अपेक्षा कई गुना ज्यादा दाम मिले हैं. जबकि सरकार ने साल 2018 में करीब 32 रुपए किलो में लहसुन की सरकारी खरीद की थी. ऐसे में इस बार लहसुन का रकबा बढ़कर कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में 1 लाख हेक्टेयर के आसपास जा सकता है.
साल 2017 बना था 'काल का साल'
कोटा संभाग में साल 2017 में 1 लाख 9 हजार हेक्टेयर में लहसुन हाड़ौती के चारों जिलों में बोया गया था, जिससे 7 लाख 25 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था. इस बंपर उत्पादन के चलते किसानों को साल 2018 में उचित दाम नहीं मिल पाए थे. लहसुन 2 से लेकर 25 रुपए किलो तक बिक गया था और किसानों की लागत इसको उगाने में जहां करीब 18 से 22 रुपए आई थी. ऐसे में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था. इसके चलते ही हाड़ौती के कई किसानों ने लहसुन के पर्याप्त दाम नहीं मिलने के चलते आत्महत्या भी कर ली थी.
साल 2018 में घट गया 30 फीसदी बुवाई का एरिया
कोटा संभाग में 2018 में किसानों के आत्महत्या के कारण लहसुन से उनका मोहभंग हो गया और किसानों ने मात्र 77 हजार 250 हेक्टेयर में लहसुन की खेती की. इस कारण साल 2019 में 4 हजार 80 हजार 606 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ. हालांकि इस साल किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिले हैं. जिसके चलते लहसुन की खेती का एरिया हाड़ौती में बढ़ सकता है. हालांकि 150 से 200 रुपए किलो लहसुन बिका है.
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अभी 59 हजार हुई, बढ़कर जाएगी 1 लाख तक
वर्तमान में करीब 5 हजार 900 हेक्टेयर में लहसुन की बुवाई हाड़ौती के किसान कर चुके हैं, जिसमें कोटा जिले में 13 हजार 500 हेक्टेयर, झालावाड़ में 13 हजार 200, बारां जिले में 26 हजार 600 हेक्टेयर और बूंदी जिले में करीब 4 हजार 100 हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार यह बढ़कर इस बार 1 लाख हेक्टेयर तक जा सकती है.
सरसों की बुवाई नहीं कर पाए, लहसुन ही विकल्प
कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस बार हाड़ौती में अच्छी बारिश हुई है. जमीन में नमी भी है. इस कारण सरसों की बुवाई अधिकांश किसान नहीं कर पाए हैं. ऐसे में लहसुन का रकबा बढ़ेगा. वहीं तालाबों और नहरों से भी पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है. ऐसे में किसान लहसुन की खेती ज्यादा करेंगे.