कोटा. गणेश चतुर्थी कोटा के लिए खास है क्योंकि कोटा शहर में करीब एक हजार से ज्यादा गणेश पंडाल हर साल स्थापित किए जाते हैं. लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी के कारण प्रशासन ने पंडाल स्थापित करने पर रोक लगा दी है. इसके कारण बड़े गणेश पंडाल कोटा में स्थापित नहीं हो पाए हैं, लेकिन फिर भी लोग घरों पर गजानंद की स्थापना कर रहे हैं.
गणेश चतुर्थी का बाजारों में नजर आया उत्साह शहर के करीब 20 से ज्यादा जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं मिल रही हैं. लोग ढोल-नगाड़े लेकर आ रहे हैं और भगवान गजानंद की प्रतिमा को खरीद अपने घरों पर स्थापित करने के लिए ले जा रहे हैं. यह क्रम शनिवार देर रात तक जारी रहेगा. कुछ लोग कार से आ रहे हैं तो कुछ बाइक पर ही गजानन की मूर्ति को लेकर जा रहे हैं.
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कोटा शहर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और कॉलोनीवासी भी मूर्तियां खरीदने आ रहे हैं, लेकिन उन्हें बड़ी मूर्तियां नहीं मिल रही है. बाजार में 6 से 7 फीट की मूर्ति ही अधिकतम उपलब्ध है. लोक इको फ्रेंडली मूर्ति के लिए मिट्टी की ही मूर्ति मांगते हैं, लेकिन अधिकांश बाजार में पीओपी की मूर्तियां सस्ती होने से लोग खरीद रहे हैं.
हालांकि, कोर्ट के नियमानुसार पीओपी की मूर्तियां प्रतिबंधित है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में ये मूर्तियां धड़ल्ले से मिल रही हैं. दुकानदारों का कहना है कि इस बार उन्हें कोविड-19 संक्रमण के चलते नुकसान ही हुआ है क्योंकि मूर्तियां बड़ी नहीं बना पाए. अगर वह बड़ी मूर्ति बनाते तो उनकी ज्यादा लागत आती और उन्हें ज्यादा पैसा भी मिलता. इस बार बड़ी मूर्ति प्रशासन के कहने पर उन्होंने नहीं बनाई है कि वह 4 फीट की मूर्तियां बनाई है, लेकिन बाजारों इससे बड़ी मूर्तियां भी मिल रही है.
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मूर्ति खरीदने आए लोगों का कहना है कि वह घरों पर ही प्रतिमाएं स्थापित कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि वह बीते 18 से 20 सालों से घर पर गणपति की स्थापना करते हैं और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन उन प्रतिमाओं का विसर्जन भी करते हैं. कोटा शहर में करीब 20 हजार से ज्यादा मूर्तियां लोग खरीद कर लेकर गए हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो घरों पर ही मूर्तियां बना रहे हैं और अपने गार्डन में ही उनका विसर्जन करेंगे.