कोटा.कोरोना वायरस महामारी (कोविड- 19) से निपटने के लिए कोविड- 19 हॉस्पिटल में मरीजों को घर से भर्ती करने और उनके शवों को अंतिम क्रिया के लिए, लाने और ले जाने के लिए जिला प्रशासन ने एंबुलेंस को अधिग्रहित किया था. लेकिन अब जब उनका किराया तय कर दिया है तो उसमें एंबुलेंस मालिकों और चालकों के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है.
बता दें कि एंबुलेंस मालिकों को महज 200 रुपए रोज दिया जा रहा है. चालकों के लिए भी 235 रुपए तय किए गए हैं. जबकि एंबुलेंस चालकों के अनुसार उनका रोज का खर्चा इससे कई गुना अधिक हो रहा है. एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि कोरोना योद्धा के रूप में हम लोगों ने भी काम किया है, लेकिन हमारा सम्मान करने की जगह जिला प्रशासन ने हम लोगों का अपमान ही कर डाला.
जीवन से खिलवाड़ कर काम किया
एंबुलेंस चालकों और मालिकों का कहना है कि उन्होंने जीवन से खिलवाड़ कर कोरोना महामारी से जुड़े मरीजों की सेवा का काम किया है. अपने परिवार और बच्चों की चिंता भी नहीं की. ऐसे मरीज, जिनको कोई हाथ नहीं लगा रहा था. उन मरीजों को लाने और ले जाने में लगे रहे. हॉट-स्पॉट एरिया से लेकर कभी थानों के चक्कर लगा रहे थे, तो कभी अस्पताल में ऐसे मरीजों को भर्ती करवा रहे थे. इस दौरान हमारा एक एंबुलेंस ड्राइवर भी Corona positive हो गया था. हमें प्रोत्साहन देने की जगह हमारा अपमान ही हुआ है.
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पहले से तय था, फिरEpidemic actबताकर कम क्यों किया?
एंबुलेंस मालिक बृजमोहन नामा का कहना है कि जिला प्रशासन परिवहन विभाग और पुलिस ने पहले लोकल 600 रुपए और शहर के बाहर 10 रुपए किलोमीटर तय किया था. जबकि कोरोना एपिडेमिक एक्ट बताते हुए दोनों ही श्रेणियों से अलग हमें किराया दिया जा रहा है. अब इस महंगाई के जमाने में ड्राइवर 233 रुपए रोज में कैसे खर्चा चलाएगा. वहीं वाहन मालिक 200 रुपए रोज में गाड़ी की किस्त, बीमा, मेंटेनेंस, फिटनेस और परिवार का पालन कैसे करेगा. नामा का कहना है कि उन्होंने 2 महीने की किस्त इसी महीने 18 हजार 600 रुपए जमा कराई है. जबकि 2 महीने वाहन चलने पर ही उन्हें 12 हजार रुपए मिलेंगे.