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उपचुनाव में हार पर भड़के पूर्व विधायक राजावत, कहा-वसुंधरा को आगे नहीं किया तो 2023 में भी होगा बुरा हाल

राजस्थान में दो सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है. हार पर नाराजगी जताते हुए पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावात ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने अगर अब भी बीजेपी की कमान वसुंधरा राजे के हाथों में नहीं दी गई तो 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का और भी बुरा हाल हो सकता है.

Former MLA Rajawat furious over BJP's crushing defeat in by-elections
उपचुनाव में BJP की करारी हार पर भड़के पूर्व विधायक राजावत

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Published : Nov 2, 2021, 4:44 PM IST

कोटा.राजस्थान बीजेपी में लगातार उठापटक का दौर जारी है.पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक लगातार पार्टी में उन्हें आगे करने की मांग करते आ रहे हैं. मंगलवार को धरियावद और वल्लभनगर सीट पर बीजेपी प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा है. पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने चुनाव परिणाम को लेकर नाराजगी जाहिर की है.

प्रदेश में 2023 में सत्ता में आने का सपना देखने वाली भाजपा के प्रत्याशियों को तीसरे और चौथे स्थान पर ही संतुष्ट रहना पड़ा. इस पर कोटा से भारतीय जनता पार्टी से तीन बार विधायक रहे भवानी सिंह राजावत ने प्रदेश नेतृत्व और हाईकमान पर हमला बोला है. भवानी सिंह राजावत ने कहा है कि हाईकमान अब भी बिना किसी देरी के लोकप्रिय जननायिका पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजस्थान की कमान सौंप दे. नहीं आगामी होने वाले चुनाव में भाजपा को फिर से कारारी हार का सामना करना पड़ेगा. जो संगठन और कार्यकर्ता दोनों के लिए घातक होगा.

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राजावत ने कहा कि अब तक नगर पालिका, नगर निगम, पंचायत समिति, जिला परिषद और विधानसभा उपचुनाव सहित जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें जहां हमारा अभेद्य दुर्ग हुआ करता था.जहां चारों ओर भाजपा की विजय होती थी. वहां पर भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है. भवानी सिंह राजावत ने कहा कि क्या कारण रहे कि जनता का पार्टी से मोहभंग हो गया है.

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उनका कहना है कि सुबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चमत्कारिक नेतृत्व ही था जिसके चलते हम पूर्व में चुनाव जीत रहे थे. विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. एक बार 120 और दूसरी बार 163 सीटें जीती थी. भाजपा ने उनके नेतृत्व में चुनाव जीतने के रिकॉर्ड बनाए हैं. राजे के नेतृत्व में लगभग हर चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता रहा. इस इतिहास को दोहराने के लिए प्रदेश की बागडोर फिस से वसुंधरा राजे को सौंपना अब जरूरी हो गया है.

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