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पूर्व विधायक ने छेड़ा बाढ़ पीड़ितों के दर्द का राग, कहा- सरकार की मुआवजा राशि, ऊंट के मुह में जीरा समान - राजस्थान सरकार

पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल जमकर कांग्रेस सरकार पर बरसे. यहां तक कि उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा राशि नहीं देने का आरोप भी लगा दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि वह बाढ़ पीड़ितों के लिए जल्द ही रूपरेखा तैयार कर आंदोलन करेंगे.

kota flood victims, कोटा बाढ़ पीड़ित

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Published : Oct 30, 2019, 9:00 PM IST

कोटा. भारतीय जनता पार्टी कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का दिवाली स्नेह मिलन कार्यक्रम पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने आयोजित किया. इस दौरान पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल जमकर कांग्रेस सरकार पर बरसे. यहां तक कि उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा राशि नहीं देने का आरोप भी लगाया. उन्होंने काह कि वे जल्द ही बाढ़ पीड़ितों के समर्थन में जन आंदोलन करेंगे.

दीवाली स्नेह मिलन में पूर्व विधायक गुंजल ने कांग्रेस पर किए प्रहार

पूर्व विधायक गुंजल ने बिना मंत्री शांति धारीवाल का नाम लिए कहा कि वे जयपुर में एयर कंडीशन में सोते रहे और यहां पर बाढ़ में लोगों की दीवारें ढह गई, उनका राशन बह गया. वे मुख्यमंत्री को लेकर आए लेकिन हवा में उड़ कर वापस चले गए. गुंजल ने कहा कि जो मुआवजा राज्य सरकार ने दिया है. वह ऊंट के मुंह में जीरा समान है, क्योंकि 38 सौ रुपए केवल उन्हीं लोगों को मिले हैं. जिनकी सूची कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तैयार की थी.

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गुंजल ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों के साथ अन्याय हुआ है. जिनके घर टूटे हैं, उनके घरों में दिवाली का दीपक नहीं जला है. इन लोगों के लिए अब वे संघर्ष करेंगे और नवंबर माह में आंदोलन की पूरी रूपरेखा बनाएंगे और दिसंबर माह से आंदोलन शुरू करेंगे. इस कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष हेमंत विजयवर्गीय, पार्षद बृजेश शर्मा नीटू, सुनील पोकरा सहित हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे.

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कमजोर विरोध किया तो दोष के भागीदार बनेंगे
गुंजल ने उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अब सोशल मीडिया पर नेताजी के साथ फोटो डाल देने से काम नहीं चलेगा. हम सभी कार्यकर्ताओं को इस वृति को छोड़ना पड़ेगा. हम विरोध के कार्यकर्ता हैं, सत्ता नकारा हो गई है. हम इस उम्मीद में बैठे रहे कि जनता इस नकारा सरकार को हटा देगी, फिर हम आएंगे तो दोष के भागीदार बनेंगे. सरकार कि हर गलत नीति का विरोध आमजन के साथ करना चाहिए. हम कमजोर और लाचार विरोध की श्रेणी में नहीं आना चाहते.

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