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केंद्र सरकार के खिलाफ कोटा में किसानों का आक्रोश, अध्यादेश के खिलाफ दिया धरना - kota news

कोटा में सोमवार को किसानों ने केंद्र सरकार के नए अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर एपीएमसी ठेका खेती स्टॉक लिमिट खत्म अध्यादेश को वापस लेने की मांग की. किसानों की मांगे नहीं माने जाने पर तहसील मुख्यालय पर जिला हेडक्वार्टर पर आगामी दिनों में बैठक कर आंदोलन करने की दी चेतावनी दी है.

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किसानों ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ किया प्रदर्शन

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Published : Sep 14, 2020, 4:57 PM IST

कोटा. शहर में भामाशाह मंडी में सोमवार को केंद्र सरकार के एपीएमसी ठेका खेती स्टॉक लिमिट खत्म अध्यादेश के खिलाफ किसानों ने धरना दिया. केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. बाद में संभागीय आयुक्त को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया. किसानों की मांगे नहीं माने जाने पर तहसील मुख्यालय पर जिला हेडक्वार्टर पर आगामी दिनों में बैठक कर आंदोलन करने की दी चेतावनी दी है.

किसानों ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ किया प्रदर्शन

देशव्यापी आंदोलन के तहत किसान संयुक्त संगठन ने सोमवार को केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश दिखाया. किसान संयुक्त संगठन ने कोटा में स्थित भामाशाह अनाज मंडी के कृषि उपज मंडी समिति कार्यालय के सामने करीब 3 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया. साथ ही किसानों ने केंद्र सरकार से एपीएमसी, ठेका खेती और स्टॉक लिमिट अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए केंद्र सरकार से वापस लेने की मांग की.

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किसान संयुक्त संगठन के पदाधिकारी दुलीचंद बोरदा ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसान मजदूर वर्ग पर कुठाराघात कर रही है. व्यापारियों का व्यापार चौपट करने जा रही है. बिना संसद के चले केंद्र सरकार ने 3 किसान विरोधी अध्यादेश देश में लागू कर दिए हैं, इससे किसान, मजदूर और व्यापारी वर्ग को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है.

बोरदा ने कहा कि एपीएमसी, ठेका खेती और स्टॉक लिमिट अध्यादेश और बिजली बिल 2020 कानून किसान मजदूर व्यापारी बर्बाद हो जाएगा. सरकार पर्यावरण कानून भी बदलने जा रही है. खेती किसानी पर पूरी तरह से देश के पूंजी पतियों का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा. केंद्र सरकार इस तरह के अध्यादेश लाकर देश के पूंजी पतियों को ही नहीं बल्कि विदेशी कंपनियों को भी लाभ पहुंचाने का काम कर रही है. जबकि सरकार को चाहिए कि वो जिन वादों के मुताबिक किसानों की आय बढ़ाने, किसानों की आर्थिक उन्नति करने, युवा बेरोजगारों को रोजगार देने के वादे को लेकर सत्ता में आई थी, उसी दिशा में सरकार को काम करना चाहिए.

अध्यादेश वापस लेने की मांग

उन्होंने कहा कि सरकार को स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक समर्थन मूल्य के तहत किसानों की फसल खरीद का गारंटी कानून लाना चाहिए, ताकि समर्थन मूल्य के नीचे मंडियों में अनाज ना बीके और किसानों को पूरा दाम मिले. किसानों के कर्ज माफ करने चाहिए, क्योंकि देश का किसान आज कर्ज में डूबता जा रहा है और वो मौत को गले लगा रहा है.

किसानों ने कहा कि खेती किसानी को जीएसटी से बाहर करना चाहिए. सरकार को इस तरह की पॉजिटिव सोच के साथ किसानों की भलाई के लिए काम करना चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार किसानों, मजदूरों, व्यापारियों पर कुठाराघात करने से बाज नहीं आ रही है.

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केंद्र सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाकर किसानों को आर्थिक संकट में डाल रखा है. बिजली के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. खेती किसानी के लिए पर्याप्त समय किसानों को बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है, वो किसान गर्त में जा रहा है. धरना प्रदर्शन करने वाले किसानों ने कहा कि आज उन्होंने धरने के बाद संभागीय आयुक्त को केंद्र सरकार के नाम प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने तीनों अध्यादेशों को वापस नहीं लिया तो किसान आगामी दिनों में बैठक बुलाकर हर तहसील मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेगा और जिला मुख्यालय पर भी आंदोलन किया जाएगा.

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