कोटा. किसानों को बुवाई के काम में उपयोग होने वाले डाई अमोनियम फास्फेट यानी डीएपी उर्वरक नहीं मिल पा रहा है. डीएपी की कमी से किसान पहले से ही परेशान हैं. ऊपर से मिलावटखोरी और मनमाने दाम की समस्या 'कोढ़ में खाज' साबित हो रही है.
डीएपी की कमी से परेशआन किसानों को जहां से भी खाद मिलने की संभावना नजर आती है, किसान उसी तरफ हाथ-पैर मारने लगता है. किसानों की इसी मजबूरी का फायदा मिलावटखोर और व्यापारी उठा रहे हैं. कहीं किसानों को नकली उर्वरक बेचकर चपत लगाई जा रही है तो कहीं उनसे ज्यादा दाम वसूले गए. कोटा संभाग में हुई चार बड़ी कार्रवाइयों में बड़ी मात्रा में नकली डीएपी कृषि विभाग और पुलिस ने बरामद किया है और कुछ आरोपियों को भी गिरफ्तार किया. जो कि इस धंधे को चला रहे थे. साथ ही 19 ऐसे व्यापारियों पर भी कार्रवाई की गई है जो किसानों से ज्यादा दाम वसूल रहे थे या फिर उनकी दुकानों पर अनियमितता मिली है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि उन्होंने चार जगह पर नकली डीएपी की कार्रवाई करते हुए पकड़ा है.
डीएपी की कट्टे में निकला एसएसपी
बूंदी जिले के नैनवा इलाके में अक्टूबर महीने में कुछ किसान थाने पर पहुंचे और उन्होंने हंगामा किया कि उन्हें नकली डीएपी कुछ लोग सप्लाई करके चले गए हैं. इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. साथ ही कृषि विभाग भी एक्टिव हो गया. उन्होंने आरोपियों का पता लगाया. इस मामले में दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जब्त किए गए डीएपी की जांच की गई तो उस एसएसपी की क्वालिटी भी काफी घटिया थी. इसमें तय मानकों से कम पोषक तत्व थे. यहां पर करीब 10 किसानों को 50 कट्टे नकली डीएपी बेचकर लोग चपत लगा गए थे.
कलर अलग होने पर की शिकायत, निकला नकली
बारां जिले में एक किसान ने डीएपी की किल्लत से परेशान होकर कुछ लोगों से इसे खरीद लिया और उसमें 70 बैग की सप्लाई भी गांव में ले ली. डीएपी का कलर मेच नहीं होने पर उसने इसे वापस लौटाने की जगह पुलिस को सूचना दे दी. इस पर पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. जांच में यह एसएसपी निकला, जिसे डीएपी के कट्टे में पैक करके सप्लाई किया जा रहा था. क्योंकि डीएपी की कीमत 1200 रुपए है, वहीं एसएसपी की कीमत 360 रुपए है.