कोटा. कोविड-19 के चलते बाजारों में अब मेडिकल इक्विपमेंट की मांग बढ़ गई है. पल्स ऑक्सीमीटर हो या वेपोराइजर, रेस्पिरेट्री मीटर हो या इंफारेड थर्मल स्कैनर और डिजिटल थर्मामीटर सब की मांग अभी बड़ी हुई है. सबसे ज्यादा वर्तमान में पल्स ऑक्सीमीटर की डिमांड है. करीब 800 से लेकर 1000 पल्स ऑक्सीमीटर रोज कोटा की दुकानों पर बिक रहे हैं. हालांकि कोविड-19 के दौर में घटिया क्वालिटी और बेकार सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट भी बाजारों में मिलने लगे हैं, जो कि गलत जानकारी देते हैं, जिससे उपयोग करने वाले व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है.
सर्जिकल आइटम सप्लाई के काम से जुड़े मनीष सोनी का कहना है कि बाजार में अच्छे प्रोडक्ट भी आ रहे हैं. वहीं इनके बारे में बेचने वालों को भी जानकारी नहीं है. साथ ही खरीदने वाले लोग भी सस्ते होने के चलते अज्ञानता में खरीद लेते हैं, जबकि कई मेडिकल इक्विपमेंट्स की शिकायत आई है कि इनमें रीडिंग फिक्स की हुई है. ऐसे में वह तीन से चार अलग-अलग रीडिंग बार बार में बता देता है. साथ ही कुछ प्रोडक्ट के सेंसर अच्छे नहीं हैं. ऐसे में वह पूरी रीडिंग नहीं ले पाता है और गलत रिजल्ट भी दे देते हैं. इससे उपयोग करने वाले व्यक्ति की जान को भी खतरा हो सकता है, क्योंकि पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का लेवल मिलता है, अगर उसे सही ऑक्सीजन लेवल की जानकारी नहीं मिलेगी. तो वह अपने आप को ठीक समझता रहेगा और लेवल कम होने पर उसकी जान पर बन आएगी.
हर जगह मिलने लगे हैं इंस्ट्रूमेंट
सर्जिकल आइटम के व्यापारी अंकित गेरा का कहना है कि अब यह प्रोडक्ट छोटी से लेकर बड़ी दुकानों पर भी मिलने लगे हैं. जिन दुकानदारों को इनके बारे में जानकारी भी नहीं है, वह भी इन्हें बेच रहे हैं. ऐसे में कुछ गलत प्रोडक्ट्स भी बाजार से लोगों के पास पहुंच जाते हैं. बाजार में जिन प्रोडक्टों की मांग बढ़ी है, उनमें श्वास रोग से सम्बंधित उपकरण ही ज्यादा हैं.
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अब नहीं हो रही है ब्लैक मार्केटिंग
व्यापारी मनीष सोनी का कहना है कि वेपोराइजर भी घटिया प्लास्टिक वाले बिक्री हो रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब पल्स ऑक्सीमीटर और वेपोराइजर में ही थोड़ी बहुत ब्लैक मार्केटिंग है. बाकी अन्य आइटम में ब्लैक मार्केटिंग खत्म हो गई है. अब एक्चुअल रेट पर ही माल मिल रहा है. हालांकि अब क्वालिटी का माल कम ही जगह मिल रहा है.
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