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कोटा के अस्पताल में 3 घंटे तक बिजली गुल, महिला मरीज की मौत... परिजनों का आरोप- Oxygen बंद होने से गई जान

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में रविवार रात बिजली चली गई. लगभग 3 घंटे तक (Electricity interrupted in kota medical college new hospital) बिजली बाधित रहने से मरीज काफी परेशान हो गए. डॉक्टरों को भी मरीजों को अंधेरे में टॉर्च की रौशनी में दवाइयां देनी या इंजेक्शन लगाने पड़ रहे थे. वहीं इस दौरान एक महिला मरीज की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन बंद होने से मरीज की मौत हुई है. वहीं अस्पताल प्रशासन ने आरोप को गलत बताया है.

Electricity interrupted in kota medical college new hospital
कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में बिजली गुल

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Published : Apr 25, 2022, 11:44 AM IST

Updated : Apr 25, 2022, 3:50 PM IST

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में शनिवार रात बिजली गुल होने से 300 से ज्यादा मरीज परेशान हुए. बताया जा रहा है कि अधिकांश वार्डों में बिजली नहीं थी. इसके अलावा सर्जिकल आईसीयू, इमरजेंसी और कोविड-19 वार्ड में भी बिजली गायब रही. भीषण गर्मी में पंखे, कूलर और एसी बंद होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. डॉक्टरों को भी मरीजों को अंधेरे में ही टॉर्च की रौशनी में दवाइयां देनी या इंजेक्शन लगानी पड़ रही थी. अस्पताल के पैनल में लोड बढ़ने से फॉल्ट आ गया.

इस दौरान एक महिला मरीज की मौत भी हो गई. परिजनों का आरोप है कि बिजली सप्लाई बंद होने के कारण कई घंटे वेंटिलेटर बंद रहा जिस वजह से मरीज की मौत हो गई. वहीं अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को निराधार बताते हुए गलत ठहराया है. चिकित्सकों का कहना है कि मरीज की हालत पहले से खराब थी और उसे एम्बू बैग से ऑक्सीजन सप्लाइ भी दी जा रही थी, लेकिन वह सरवाइव नहीं कर सकी.

कोटा के अस्पताल में 3 घंटे तक बिजली गुल

नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील का कहना है कि मेडिकल आईसीयू में बिजली की सप्लाई बाधित (Electricity interrupted in kota medical college new hospital) नहीं हुई थी. वहीं मरीज वेंटिलेटर पर थे, जिन्हें कोई समस्या नहीं हुई. जबकि सर्जिकल आईसीयू की बिजली गुल हो गई थी. उसके साथ इमरजेंसी ओपीडी और कोविड-19 वार्ड की भी बिजली चली गई थी.

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भर्ती मरीज की मौत पर परिजन का आरोप- ऑक्सीजन सप्लाई हुई थी बाधित
चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा निवासी 65 वर्षीय नंदू बाई को परिजनों ने सुबह 11:00 बजे के करीब अस्पताल में भर्ती करवाया था. जिन्हें इमरजेंसी में ही उपचार के लिए रखा गया. वह पूरे दिन इमरजेंसी में ही रहीं. उनकी तबीयत काफी सीरियस थी. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ-साथ ऑक्सीजन भी लगाई गई थी. नंदू बाई के बेटे भूपेंद्र का आरोप है कि लाइट जाने के चलते ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो गई थी.

नए अस्पताल अक्षीक्षक का बयान

यह जानकारी चिकित्सकों को दी गई, लेकिन कई घंटे लाइट नहीं आई. ऐसे में रात 10:40 मिनट पर उनकी मां की मौत हो गई. उसके बाद हमने इस पर आपत्ति जताई. कोई शोर-शराबा नहीं किया, लेकिन ऑक्सीजन खत्म होने की बात कही थी जिसके बाद अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और स्टाफ ने पुलिसकर्मियों को बुला लिया. पुलिस कर्मियों ने हमें बाहर निकाल दिया और मां का शव दे दिया. इसके बाद हम शव लेकर अपने गांव आ गए. यहां पर आज मां का अंतिम संस्कार किया गया है.

वेंटिलेटर बंद होने की बात गलत, एम्बु बैग से दे रहे थे ऑक्सीजन
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील का कहना है कि मरीज का वेंटीलेटर चालू था. ऑक्सीजन सप्लाई दूसरे तरीके से भी दी जा सकती है. एम्बु बैग से मरीज को ऑक्सीजन दी जा रही थी. मरीज सुबह जब आई थी, तभी परिजनों को बता दिया था कि वह काफी गंभीर स्थिति में है. वेंटिलेटर बंद होने की बात गलत है. वेंटिलेटर में बैटरी बैकअप होता है. ऐसे में वह उसके जरिए ही चल रहा था. महिला मरीज की मौत बीमारी की गंभीरता के चलते हुई है, अगर वेंटिलेटर बंद होने की बात है तो अस्पताल में और भी मरीज भर्ती थे, उन्हें भी समस्या हो सकती थी. इस महिला मरीज की मौत सामान्य है.

Last Updated : Apr 25, 2022, 3:50 PM IST

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