कोटा. कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन को 50 दिन से ज्यादा समय हो गया है. इसके चलते छोटे से लेकर बड़े मंदिरों में पूजा करने वाले पुजारियों और उनके परिवारों के सामने संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि उनका सब कुछ दान-दक्षिणा के भरोसे ही चल रहा था. कोरोना महामारी ने भगवान के पट भी बंद करवा दिए हैं. ऐसे में जो मंदिरों में चढ़ावा आता था, वह भी बंद हो गया.
कोरोना वायरस का संक्रमण इतना गहराया है कि अब पंडितों वह पुजारियों को काफी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. कोटा शहर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 5000 मंदिर है. जहां पर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर दान-दक्षिणा और चढ़ावा चढ़ाते थे, अब इन मंदिरों में सन्नाटा है. पुजारी भोग से लेकर प्रसाद और सारी धार्मिक गतिविधियां खुद संचालित कर रहे हैं. कई मंदिर तो ऐसे है, जहां पर अकेले एक पुजारी ही सब कुछ संभाल रहे हैं. ऐसे में इन मंदिरों पर भी पुजारी की जेब से ही बीते 50 दिनों से खर्चा हो रहा है. वहीं छोटे मंदिरों के पुजारियों को भी किसी तरह की दान-दक्षिणा नहीं मिल पा रही हैं.
मंगल कार्य बंद, दक्षिणा हुई बंद
नया गांव की स्थिति खेड़ापति हनुमान मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश गौतम ने बताया कि कोरोना महामारी ने भगवान के दरबार के भी पट बंद करवा दिए हैं. ऐसे में जो मंदिरों में चढ़ावा आता था, वह भी बंद हो गया. पंडित ओम प्रकाश ने बताया कि शादी विवाह, भूमि पूजन और गृह प्रवेश जैसे मंगलकार्य भी नहीं हो रहे हैं. ऐसे में पंडितों को मिलने वाली दान-दक्षिणा भी बंद हो गई हैं.
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वहीं शिवपुरा स्थित शिव मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम व्यास का कहना है कि बड़े मंदिरों को देवस्थान विभाग ने अधिग्रहण कर रखा हैं. जिनके पुजारियों को तो देवस्थान विभाग तनख्वाह दे रहा है, लेकिन छोटे मंदिरों में पुजारियों को दान-दक्षिणा पर ही निर्भर रहना पड़ता था, जो अब मिल नहीं पा रही है. ऐसे में छोटे मंदिरों के पुजारी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.