कोटा. कोरोना के मरीज लगातार बढ़ने के बाद अब निजी अस्पतालों में मरीजों की भी लंबी कतारें लगने लगी हैं. इसके साथ ही उपचार में आने वाले इंजेक्शन रेमडेसिवीर की कमी भी हो रही है. इसी को लेकर औसत नियंत्रण संगठन पूरी तरह से सख्ती बनाए हुए हैं और एक एक इंजेक्शन का हिसाब रखा जा रहा है.
इन इंजेक्शन की सप्लाई भी निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर को हो रही है वहां पर आज सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा, ड्रग कंट्रोल ऑफिसर रोहिताश मीणा, उमेश मुखीजा, निशांत बघेरवाल और ओम प्रकाश चौधरी की टीम जायजा लेने भी पहुंची.
इस दौरान कोटा के झालावाड़ रोड स्थित सुधा हॉस्पिटल, जायसवाल अस्पताल, कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट, बसंत विहार स्थित एसएन पारीक अस्पताल, इंद्रविहार स्थित ओपेरा हॉस्पिटल और दादाबाड़ी स्थित भारत विकास परिषद अस्पताल में कोविड-19 के निजी सेंटर बनाए हुए हैं, जहां पर मरीजों का उपचार किया जा रहा है इन सब जगह पर लगातार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई हो रही है. यहां किन मरीजों को वैक्सीन लग रहा है, यह भी जानकारी औषधि नियंत्रण संगठन ले रहा है.
बिना जरूरत तो नहीं लगाया जा रहा रेमडेसिवीर इंजेक्शन
ड्रग कंट्रोल के अधिकारियों का कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन बिना जरूरतों मरीजों को नहीं लगाया जा रहा है, यह भी देख रहे हैं. साथ ही मेडिकल स्टोर के जरिए बाहर तो ये इंजेक्शन नहीं बेचा गया है. क्योंकि केवल भर्ती मरीजों के लिए ही ये इंजेक्शन सप्लाई किया गया है. इस टीम ने अस्पताल के पूरे रिकॉर्ड की जांच की है, 10 अप्रैल के बाद जितने भी मरीज भर्ती हुए हैं. उनका डाटा भी ये लोग ले रहे हैं, ताकि उन मरीजों से भी पूछताछ की जाएगी कि उन्होंने इंजेक्शन कितने रुपए में खरीदा. जिससे ये भी सत्यता सामने आ जाएगी कि मरीजों को इंजेक्शन लगाई गई है या उसकी कालाबाजारी तो की गई है.