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कोटा: नहीं कर पाएंगे रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी, ड्रग कंट्रोलर हर इंजेक्शन का रख रहा हिसाब

प्रदेश में लगातार कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. अब प्रदेश के कई जिलों में कोरोना इंजेक्शन रेमडेसिवीर की कमी होने लगी है. जिसको देखते हुए अब औसत नियंत्रण संगठन इंजेक्शन को लेकर पूरा हिसाब रख रहा है.

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कोटा में ड्रग कंट्रोलर रख रहा रेमडेसिवीर इंजेक्शन का हिसाब

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Published : Apr 14, 2021, 3:44 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 4:47 PM IST

कोटा. कोरोना के मरीज लगातार बढ़ने के बाद अब निजी अस्पतालों में मरीजों की भी लंबी कतारें लगने लगी हैं. इसके साथ ही उपचार में आने वाले इंजेक्शन रेमडेसिवीर की कमी भी हो रही है. इसी को लेकर औसत नियंत्रण संगठन पूरी तरह से सख्ती बनाए हुए हैं और एक एक इंजेक्शन का हिसाब रखा जा रहा है.

कोटा में ड्रग कंट्रोलर रख रहा रेमडेसिवीर इंजेक्शन का हिसाब

इन इंजेक्शन की सप्लाई भी निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर को हो रही है वहां पर आज सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा, ड्रग कंट्रोल ऑफिसर रोहिताश मीणा, उमेश मुखीजा, निशांत बघेरवाल और ओम प्रकाश चौधरी की टीम जायजा लेने भी पहुंची.

इस दौरान कोटा के झालावाड़ रोड स्थित सुधा हॉस्पिटल, जायसवाल अस्पताल, कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट, बसंत विहार स्थित एसएन पारीक अस्पताल, इंद्रविहार स्थित ओपेरा हॉस्पिटल और दादाबाड़ी स्थित भारत विकास परिषद अस्पताल में कोविड-19 के निजी सेंटर बनाए हुए हैं, जहां पर मरीजों का उपचार किया जा रहा है इन सब जगह पर लगातार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई हो रही है. यहां किन मरीजों को वैक्सीन लग रहा है, यह भी जानकारी औषधि नियंत्रण संगठन ले रहा है.

बिना जरूरत तो नहीं लगाया जा रहा रेमडेसिवीर इंजेक्शन

ड्रग कंट्रोल के अधिकारियों का कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन बिना जरूरतों मरीजों को नहीं लगाया जा रहा है, यह भी देख रहे हैं. साथ ही मेडिकल स्टोर के जरिए बाहर तो ये इंजेक्शन नहीं बेचा गया है. क्योंकि केवल भर्ती मरीजों के लिए ही ये इंजेक्शन सप्लाई किया गया है. इस टीम ने अस्पताल के पूरे रिकॉर्ड की जांच की है, 10 अप्रैल के बाद जितने भी मरीज भर्ती हुए हैं. उनका डाटा भी ये लोग ले रहे हैं, ताकि उन मरीजों से भी पूछताछ की जाएगी कि उन्होंने इंजेक्शन कितने रुपए में खरीदा. जिससे ये भी सत्यता सामने आ जाएगी कि मरीजों को इंजेक्शन लगाई गई है या उसकी कालाबाजारी तो की गई है.

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सरकार की तय दर से दोगुनी से ज्यादा एमआरपी

सरकार ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की दर नियंत्रित की हुई है. इसे नोटिफिकेशन निकालते हुए 2,800 रुपए से कम में ही बिक्री के लिए निर्देशित किया हुआ है. जबकि इंजेक्शन की एमआरपी 5500 रुपए तक आ रही है. ऐसे में ड्रग कंट्रोलर यह भी ध्यान रख रहे हैं कि बाजार में 2800 रुपए में ही इंजेक्शन मरीजों को दिया जा रहा है. जिन इंजेक्शन की एमआरपी 2800 रुपए से कम है. उन्हें उनकी एमआरपी के अनुसार ही बेचा जा रहा है.

कोटा में भी आई रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी

पूरे देश मे कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बड़ी तेजी से फेल रही है. कोटा जिले में भी लगातार कोरोना कहर बरपा रहा है।ऐसे में निजी अस्पतालों में रेमडेसीवीर इंजेक्शन खत्म होने से मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंच रहे हैं. वहां भी इसकी किल्लत हो गई है. मेडिकल प्रशासन के पास अभी मात्र 14 इंजेक्शन बचे हुए है, जोकि इमरजेंसी मरीजों को लगाए जाएंगे. हालांकि मेडिकल प्रशासन के पास शाम तक 400 इंजेक्शन आने की संभावना जताई गई है.

मरीजों के साथ आए परिजनों ने बताया कि इंजेक्शन के लिए घन्टों इंतजार करना पड़ रहा है. मेडिकल अस्पताल में कोविड डे केयर में इंजेक्शन लगाने आना पड़ता है.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी पूरे प्रदेश में हो रही है. अभी हमारे पास 14 इंजेक्शन बचे हुए हैं, जो इमरजेंसी मरीजों के लिए रखे गए हैं. हालांकि शाम तक 400 इंजेक्शन आने की संभावना है.

Last Updated : Apr 14, 2021, 4:47 PM IST

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