कोटा. शिक्षा नगरी 'काशी' के तौर पर कोटा की ख्याति है. मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस के लिए देश भर से सैकड़ों की तादाद में उज्जवल भविष्य के सपने संजोए बच्चे यहां आते हैं. इसके साथ ही कोटा में एक और ट्रेंड दिखने लगा है. अब यहां देश के बड़े इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों के पास आउट भी अपना करियर बनाने (Doctors and IITians Shaping Their Career in Kota) आ रहे हैं. ये बड़े संस्थानों से पढ़े टेक्नोक्रेट्स और डॉक्टर कोटा में करोड़ों का पैकेज भी पा रहे हैं, जो कि किसी भी बड़ी कॉर्पोरेट या मल्टीनेशनल कंपनी के बड़े अधिकारियों के बराबर है.
निजी कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा का कहना है कि कोटा में ही करीब आईआईटी, एनआईटी और अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों से पढ़ाई करने वाले 1500 इंजीनियर यहां पर पढ़ा रहे हैं. इनमें 400 से ज्यादा आईआईटियन भी हैं. इसके अलावा करीब 100 से ज्यादा एमबीबीएस और एमडी किए हुए डॉक्टर भी यहां पर देश भर से आने वाले बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उनके भविष्य को संवार रहे हैं.
कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस के 10 बड़े संस्थान है. इनमें से अधिकांश में निदेशक आईआईटियन (IITIans And Doctors In Kota) ही है. ये सब पहले किसी संस्थान में पढ़ा रहे थे. इसके बाद इन्होंने अपने संस्थान खोल लिए हैं. कोटा की बात की जाए तो आरके वर्मा, नितिन विजय, प्रमोद माहेश्वरी, अमित गुप्ता, अमरनाथ आनंद, चांदीप सिंगल, चंद्रशेखर शर्मा, सचिन सिंह और एनएम श्रीवास्तव शामिल हैं. इसके अलावा भी कई कोचिंग संस्थानों में मैनेजमेंट बोर्ड से लेकर सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और कोचिंग संस्थानों के करिकुलम मैनेजमेंट टीम को लीड करने वालों में भी आईआईटियन और डॉक्टर ही शामिल हैं.
करोड़ों में पैकेज, ग्रोथ भी ज्यादा (Lucrative Package And Growth In Kota)
कोटा में कोचिंग के फैकल्टी का शुरुआती पैकेज ही करीब 10 लाख होता है, लेकिन जो आईआईटियन या एमबीबीएस डॉक्टर यहां पर पढ़ा रहे हैं. उनका पैकेज कई गुना ज्यादा होता है. ऐसे में शुरुआत के बाद कई आईआईटियन और डॉक्टर यहां पर 15 से 20 साल से भी पढ़ा रहे हैं. इनके पैकेज बढ़कर करोड़ों रुपए में पहुंच गए हैं. कई फैकल्टी तो कोटा कोचिंग संस्थानों में ऐसी है, जिनको एक बड़ी कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर से भी ज्यादा वेतन मिल रहा है. यहां पर पढ़ा रहे आईआईटियन कार्तिकेय शर्मा और राहुल यादव का कहना है कि कोटा की कोचिंग संस्थानों में ग्रोथ के चांस ज्यादा होते हैं. जिस तरह से एक किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जहां हर साल 10 से 15 फ़ीसदी ही ग्रोथ मिल पाती है, उसी तरह से कोटा की कोचिंग संस्थानों में यह 50 से 60 फीसदी तक भी हो जाता है.
सरकारी व कॉर्पोरेट कंपनी छोड़ बने टीचर (IITians Doctors Left Government Jobs)
कोटा की कोचिंग संस्थानों में पढ़ा रहे करीब 100 से ज्यादा डॉक्टरों में अधिकांश ने पहले सरकारी नौकरी की थी, लेकिन उन्होंने वहां से रिजाइन कर यहां पर पढ़ाई का ही प्रोफेशन चुन लिया है। अब यह अच्छे टीचर बन गए हैं। इसके अलावा कई आईआईटियन ऐसे भी हैं, जो कि पहले करियर की शुरुआत कॉर्पोरेट या मल्टीनेशनल कंपनियों से कर चुके थे, उसके बाद में उन्होंने अपना करियर कोचिंग फैकल्टी के रूप में शुरू कर दिया है. यहां पढ़ाने के काम में जुटे डॉक्टर्स का कहना है कि पहले सरकारी नौकरी में संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी, लेकिन अब पढ़ाई करवा कर उन्हें काफी फायदा हो रहा है. उनका यहां तक भी कहना है कि अब वह हजारों की संख्या में बच्चों को आईआईटी और मेडिकल एंट्रेंस पास करवा चुके हैं.