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कोटा CMHO को हटाने के लिए चिकित्सकों ने लिखा चिकित्सा मंत्री को पत्र, लगाए ये आरोप

कोटा में कोरोना काल में CMHO की कार्यशैली से नाखुश चिकित्सकों ने विरोध शुरू कर दिए हैं. इस बीच चिकित्सकों ने CMHO को हटाने के लिए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा है.

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कोटा सीएमएचओ को हटाने के लिए चिकित्सकों ने लिखा चिकित्सा मंत्री को पत्र

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Published : Sep 13, 2020, 1:20 PM IST

कोटा. कोरोना काल में कोटा सीएमएचओ डॉ. बीएस तंवर की कार्यशैली से खफा होकर शहर के एक दर्जन से ज्यादा चिकित्सा प्रभारी और अधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है. चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखकर कोटा में नया सीएमएचओ लगाने की मांग की है, जो सबको साथ लेकर चले और सब से समन्वय स्थापित करे. साथी ही चिकित्सकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करे.

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चिकित्सा मंत्री के नाम लिखा गया पीड़ित चिकित्सकों का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र के वायरल होने से चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. मेमोरेंडम सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सभी ने चुप्पी साध ली है. कोई भी बोलने को तैयार नहीं है.

सीएमएचओ पर ये आरोप लगाया

चिकित्सा मंत्री के नाम लिखे गए मेमोरेंडम में शहर के 18 यूपीएचसी, एमओआईसी प्रभारी और अधिकारियों के दस्तखत हैं. पत्र में चिकित्सकों ने अपनी पीड़ा के साथ-साथ सीएमएचओ के खिलाफ शिकायतों की भरमार की है.

  • कोटा सीएमएचओ की अनियोजित कार्यशैली से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ रहा है.
  • सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक आउटडोर संभालने के साथ-साथ प्रत्येक संस्थान को अपने कार्यक्षेत्र वाले सभी बिना लक्षण वाले कोविड रोगियों को तुरंत दवा उपलब्ध करवाना और 14 दिन तक संपर्क रखने जैसा कार्य संस्था प्रभारी के जिम्मे किया हुआ है, जिससे चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. संस्था प्रभारी चिकित्सकों का कार्य दवा वितरक मात्र होकर रह गया है.
  • संस्था प्रभारी चिकित्सकों के निजी मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिए जाने से हमारे पास दिन-रात फोन आने से हमारी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है.
  • घर पर रहने वाले होम आइसोलेटेड मरीज कि यदि दुर्योग से मृत्यु हो जाए, तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रभारी चिकित्सक की होगी, ऐसा धमकी भरा आदेश सीएमएचओ ने जारी किया है.
  • 11 लाख से अधिक की आबादी वाले कोटा शहर में बिना लक्षण वाले मरीजों से आइसोलेशन के लिए मात्र 149 बिस्तर का डेडीकेटेड केयर सेंटर बनाया गया है, जहां औसतन 90 से 100 मरीज भर्ती रहते हैं. शेष सभी घरों में आइसोलेटेड हैं. यह मरीज स्वच्छंद घूमते हैं और उन पर कोई रोक टोक नहीं है.

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