कोटा. अचानक पड़ा पढ़ाई का दबाव बच्चों को स्ट्रेस की स्थिति में पहुंचा सकता है. ऐसे में टीचर्स, स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि बच्चों पर अचानक पढ़ाई का प्रेशर न डालें. बच्चों को भी यही बात समझाएं कि वे पहले अपनी रूटीन को आसान रखें. देखिये यह खास रिपोर्ट...
स्कूल खुलते ही बच्चों पर न डालें पधाई का प्रेशर कोविड-19 का असर कम होते ही राज्य सरकार ने कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूलों को पहले ही खोलने की अनुमति दे दी थी. करीब 20 दिनों से स्कूलों में पढ़ाई जारी है और अब 8 फरवरी से कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को भी स्कूल जाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर दी है. जिसके बाद से ही स्कूल में कक्षा छह तक के बच्चे भी जाएंगे.
हालांकि बीते 10 महीने के लॉकडाउन ने बच्चों की दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया है. स्कूल और क्लासेज तो पहले की तरह हो गई है, लेकिन अभी भी बच्चे पूरी तरह से पहले के रूटीन में नहीं डाल पाए हैं. ऐसे में अगर उन पर पढ़ाई के लिए फोर्स ज्यादा डाला गया तो उन्हें मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं. जिसके चलते वे स्ट्रेस और अन्य संकटों में पहुंच सकते हैं. ऐसे में टीचर स्कूल और अभिभावकों को पूरी तरह से पहले जैसी पढ़ाई का एक्सपोजर नहीं करवाएं. एकदम से बच्चों को एक्सपोजर कराया, तो दिक्कत होगी. यह बात बच्चों को भी समझानी होगी.
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क्लास में आ रही है नींद, बिगड़ चुकी है सीटिंग हैबिट्स
टीचर का खुद का मानना है कि बच्चे अभी एक लंबे छुट्टी के अंतराल से वापस लौटे हैं. हालांकि उनकी ऑनलाइन क्लासेस चल रही थी. लेकिन वह उसमें अपनी मर्जी से ही पढ़ाई कर रहे थे. कभी वह लेट कर पढ़ते थे या फिर कभी बैठ कर, चलते फिरते हुए भी वह अपनी स्टडी कर लेते थे. लेकिन अब क्लास में जो करीब 1 सेशन में 45 मिनट बैठना होता है. तो उन्हें अभी समस्या आ रही है.
लेकिन यह समस्या काफी कुछ दिनों में दूर हो जाएगी. जब बच्चों का रूटीन और ऑफलाइन क्लास की तरफ ढल जाएगा. हालांकि अभी बच्चे क्लास में नींद की झपकी अभी ले लेते हैं. क्योंकि दिन में उनकी सोने की आदत भी हो गई थी.
धीरे-धीरे कम करना होगा मोबाइल व गैजेट्स का एडिक्शन
एक्सपर्ट का मानना है कि अब बच्चों को मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से दूर करना होगा. नहीं तो इनका एडिक्शन आगे जाकर उन्हें परेशानी में ला सकता है. ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को मोबाइल का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट देना मजबूरी हो गया था. जिसके चलते हुए कुछ देर पढ़ाई करते और दूसरे समय व अन्य कामों में लग जाते थे.
अचानक स्कूल खुलना बच्चों को दे सकता है स्ट्रेस जिनमें गेम, सोशल मीडिया, मूवी, और चैटिंग शामिल है. ऐसे में उनकी मोबाइल और गैजेट्स पर डिपेंडेंसी कम करनी होगी. क्योंकि इसके एडिक्शन से कई दुष्प्रभाव भी हैं. जिनमें ज्यादा मोबाइल देखने से ड्राई आई सिंड्रोम यानी की आंखें सूखी हो जाती हैं. सिरदर्द रहने लगता है. कई बच्चों को तो इससे चक्कर तक आने लगते हैं.
बाहर आउटडोर एक्टिविटी भी करें शुरू
मेडिकल कॉलेज के एडिशनल प्रिंसिपल और मनोरोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय का मानना है कि बच्चे लॉकडाउन से अंतर्मुखी हो गए थे. उनकी आउटडोर एक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो गई थी. ऑनलाइन शिक्षा थी, इसलिए मोबाइल का एडिक्शन भी था. इंटरनेट भी उन्हें मिल रहा था. इससे उनको दोस्तों का कांटेक्ट खत्म हो गया था.
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ऐसे में अब कांटेक्ट दोबारा से हो रहा है, लेकिन बच्चे अभी भी कटे-कटे रह रहे होंगे. धीरे-धीरे उन्हें दोस्तों के साथ खेलने और समय बिताने का जब मौका मिलेगा. तभी पुराने रूटीन में आ जाएंगे. ऐसे बच्चों को एक्सरसाइज और प्राणायाम भी कराने चाहिए. ताकि उन्हें जो घर पर रहने से मोटापा या अन्य खानपान बढ़ने से समस्या हुई है वह कम हो.
कोविड गाइडलाइन की पालना कराना भी चुनौती
एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चों में इतनी समझ नहीं है कि मास्क को किस तरह से लगाएं. वे मास्क को कभी उतार लेंगे और कभी रखकर भूल जाएंगे. स्कूल में भी बच्चों को कोविड-19 गाइडलाइन की पालना कराना मुश्किल है. इसको लेकर भी पेरेंट्स चिंतित रहते हैं. जिससे कि बच्चे भी परेशान होते हैं. इसीलिए टीचर्स पेरेंट्स और स्कूल प्रबंधन को मिलकर देखना होगा कि किस तरह से बच्चों को नार्मल रखा जाए और उन्हें कोविड-19 से भी बचाया जाए.
ध्यान रखना होगा स्ट्रेस में नहीं चले जाएं बच्चे
स्कूल में अभी ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हुई है. ऐसे में बच्चों पर ज्यादा प्रेशर डालने से परेशानी में आ सकते हैं. एकदम से ही उन्हें पढ़ाई के लिए जोर देने से समस्या खड़ी हो सकती है. रूटीन में वह धीरे-धीरे वापस आ जाएंगे, उनका एक्सपोजर धीरे-धीरे होगा और अगर ज्यादा होमवर्क या वर्क लोड उन्हें दिया गया, तो वह स्ट्रेस में चले जाएंगे. बच्चों को सिर दर्द, नींद कम आना, हाथ पैर दर्द, कमजोरी होना, भूख नहीं लगना, जैसे लक्षण आने लग जाएंगे. ये प्रेशर उनकी रूटीन एक्टिविटी पर हावी हो जाएगा. इससे बच्चों को पढ़ने में भी आगे परेशानी होगी.
बच्चों की दिनचर्या को ठीक करना जरूरी बढ़ाना होगा टीचर से इंटरेक्शन
ऑनलाइन क्लासेज के बाद टीचर और स्टूडेंट का इंटरेक्शन लगभग खत्म जैसा ही हो गया है. अब इसको दोबारा बढ़ाना होगा. क्योंकि अभी भी जो बच्चे क्लासेज में आ रहे हैं वह ज्यादा एंट्रेक्ट नहीं करते हैं. ऑनलाइन स्टडी में जब बच्चा कोई सवाल नहीं पूछता है, ना कोई जवाब टीचर देते हैं, लेकिन अब दोबारा से उन्हें सवाल पूछने की आदत डालनी होगी. अपने जो कांसेप्ट ऑनलाइन में क्लियर नहीं हो रहा था, उसे ऑफलाइन में अच्छे से समझना होगा.
पेरेंट्स को भी करनी होगी बच्चों की मॉनिटरिंग
पेरेंट्स को ऑनलाइन क्लासेज बंद होने के बाद अब बच्चों की पूरी मॉनिटरिंग रखनी होगी. बच्चा होमवर्क पूरा कर रहा है या नहीं, उसे पढ़ाई में किसी तरह की कोई समस्या तो नहीं आ रही है, उसका जो टाइम शेड्यूल है, उसके अनुसार बच्चा नहीं चल पा रहा है, तो उसे मदद करनी होगी. सुबह उसे जल्दी उठाने से लेकर उसके खाने-पीने तक पूरा ध्यान रखना होगा. यहां तक कि उसको किसी भी तरह की परेशानी हो रही है और वह बताने में हिचकिचा रहा है, तो भी उसे देखना होगा. उसके व्यवहार में किस तरह का बदलाव आ रहा है, इस पर भी नजर रखनी होगी.
कुल मिलाकर स्कूल खुलते ही बच्चे किसी तरह का दबाव महसूस न करें, इसके लिए बच्चों की आदतों को धीरे-धीरे स्कूल जाने लायक बनाना होगा. दिनचर्या सेट करनी होगी और इसमें माता-पिता और शिक्षकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.