कोटा.मेडिकल कॉलेज के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस में स्टाफ कैंटीन के नाम गड़बड़झाले का मामला सामने आया है. इसमें स्टाफ कैंटीन के टेंडर से लेकर एलॉटमेंट तक की पूरी प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ गई है. जहां पर पीडब्ल्यूडी की ओर से किराया इस बार से नहीं करवाया गया है और पिछला तय किए गए किराए का महज 20 फीसदी ही लिया जा रहा है. जिससे हजारों रुपए का नुकसान विभाग को हो रहा है. इसके अलावा सिंगल बेड पर ही टेंडर दे दिया गया है. यहां तक कि कैंटीन संचालित करने के पहले संवेदक को पूरा परिसर रिनोवेट करके दिया गया है. जिसमें भी लाखों रुपए अस्पताल प्रबंधन ने खर्च किए हैं.
पढ़ेंःकंधा टकराने से हुए विवाद में गई युवक की जान, दो आरोपी गिरफ्तार
जबकि अस्पताल प्रबंधन तर्क दे रहा है कि उन्होंने मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट कैंटीन की तर्ज पर ही इसको किराए पर दिया है. वहां पर जितना किराया संवेदक से लिया जा रहा है, उसी आधार पर दिया है. क्योंकि इसका किराया जब हमने असेसमेंट कराया तो ज्यादा आ रहा था. साथ ही डाइट और मेन्यू चार्ट भी मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर ही रखा गया है.
इन तीन जगह हुई है चूकः
सिंगल बेड पर ही टेंडर जारी- स्टाफ कैंटीन घोटाले का मामला अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ, जहां पर सिंगल कॉपी ही आई. अस्पताल प्रशासन ने सिंगल बेड को ही कैंटीन अलॉट कर दी है, जबकि सरकार का नियम है कि किसी भी टेंडर प्रक्रिया के लिए तीन टेंडर कॉपी होना आवश्यक है. यहां पर कैंटीन के लिए आई अकेली फर्म विशाल इंटरप्राइजेज को स्टाफ कैंटीन का ठेका दे दिया. इस संवेदक ने ही मम्मी का ढाबा नामक कैंटीन संचालित कर दिया है.