कोटा.जिले में महिला की हत्या कर उसके पेट को चीरकर आरोपी ने उसमें कपड़ा भर दिया था. इस जघन्य अपराध को देखते हुए साइको किलर महावीर सिंह उर्फ मोहन को पॉक्सो न्यायालय क्रम-5 ने फांसी की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था. इस मामले में विशिष्ट लोक अभियोजक सुरेश वर्मा ने बताया कि इस प्रकरण में हाईकोर्ट ने भी मामले को गंभीर माना और फांसी की सजा को बरकरार रखा है.
ये था मामला
सुरेश लखेरा ने 24 मई 2019 को विज्ञान नगर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के पीछे एक कट्टे में शव होने की सूचना पुलिस को दी. इस मामले में पुलिस ने कई सीसीटीवी खंगाले और उसके बाद एक सीसीटीवी में एक व्यक्ति कंधे पर बोरा रखकर जाते हुए दिखाई दिया. एक अन्य सीसीटीवी में वहीं आदमी गोबरिया बावड़ी में भी एक महिला से बातचीत करता हुआ दिखाई दिया और वह महिला उसके साथ जाती हुई दिखाई दी. इसके बाद मोहन पर शक होने के बाद उसे 10 जून 2019 को कुन्हाड़ी से गिरफ्तार किया था.
सोने के आभूषण को बेचकर पी गया था शराब
इसके बाद पुलिस ने हत्या करने वाली जगह से मृतका की चूड़ी और खून लगी लकड़ी बरामद की थी. विज्ञान नगर पुलिस ने महिला के कान के टॉप्स के बारे में जब हत्यारोपी से पूछताछ की तो आरोपी ने कहा कि उसने टॉप्स बेच दिए थे और उसकी शराब खरीदकर पी गया था. टॉप्स भी उसने शराब बेचने वाले सेल्समैन को बेच दिए थे. पुलिस ने उस सेल्समैन से भी तस्दीक की है और उसे गवाह बनाया गया है.
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उस दौरान पूछताछ में इस किलर ने प्रदेश में अब तक 4 हत्याओं की वारदातें कबूली थी. इस हत्याकांड में महिला ने जब उससे संबंध बनाने से इनकार कर दिया तो इसने उसे बुरी तरह मौत के घाट उतार दिया और पेट चीरकर आंत और आमाशय बाहर निकाल फेंक दिए थे.
मां-बेटी का कर चुका है मर्डर, ओपन जेल से हुआ था फरार
कोटा सूरसागर के उद्योग नगर थाना इलाके में मां-बेटी के ब्लाइंड मर्डर के सनसनीखेज मामले को भी इसी साइको किलर ने अंजाम दिया था. साल 2003 में भी आरोपी ने निंबाहेड़ा में एक महिला के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी. इस मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हुई थी, लेकिन सांगानेर ओपन जेल से आरोपी फरार हो गया था.
समाज एवं स्त्रियों के लिए धरती पर जीता जागता नरपिशाच
कोटा में सजा के दौरान न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरोपी का व्यवहार पूर्व में भी ठीक नहीं रहा है और पूर्व में भी हत्या कर चुका है. इसलिए सुधरने की कोई संभावना नहीं है. जैसे ही उसे महिलाओं के प्रति अपराध करने का मौका मिलता है, उसकी यांत्रिक कियाएं सक्रिय हो जाती है. वह साइको किलर के रूप में स्त्रियों को अपनी काम वासना के लिए प्रेरित करता है.
यह व्यक्ति समाज एवं स्त्रियों के लिए जीता जागता नरपिशाच धरती पर रह गया है. ऐसे जघन्य अपराध पर न्यायालय आंख पर पट्टी बांधकर नहीं बैठ सकता. इस तरह का अपराध करने का अपराधी स्वप्न भी देख रहे हो, उनका सख्त संदेश देना न्यायालय का कर्तव्य है. ताकि अपराधियों में संदेश जाए कि न्यायालय इस प्रकार के अपराधों में शून्य सहनशीलता का रूप अपना रहे हैं.