कोटा.भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने 23 साल पुराने मामले में तत्कालीन सरपंच, ग्राम सचिव, दो नाकेदारों और उनकी पत्नियों को दंडित किया है. जबकि इसी मामले में तत्कालीन बारां अटरू विधायक और वर्तमान में रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर सहित 21 लोगों को दोषमुक्त किया है. मामला 1998 में अटरू ग्राम पंचायत में चारागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का है. जिसपर भूखंड काटकर नीलामी के जरिए विक्रय कर दिया था. ये फर्जी पट्टा आवंटन घोटाला था. इस मामले में एसीबी ने जांच कर 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि अटरू ग्राम पंचायत (Court judgment after 23 years in Fake lease allotment scam in kota) में 1998 में सरपंच बृजमोहन सोनी ने दिगर पंचों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासियों के लिए आबादी भूमि की आवश्यकता बताई. इसके बाद सचिव राजेंद्र कुमार, नाकेदार जितेंद्र और कस्तूरचंद के साथ मिलीभगत और आपराधिक षड्यंत्र के तहत भूखंड हड़पने की योजना बनाई.
इसके तहत ग्राम पंचायत की चरागाह भूमि को आबादी में कन्वर्ट करवाने का प्रस्ताव भेजा गया. जिस पर बारां कलेक्टर के आदेश पर भूमि आबादी में कन्वर्ट भी हुई. इसके बाद इनकी नीलामी की विज्ञप्ति निकाली गई. राजस्थान पंचायत राज नियमों की अवहेलना करते हुए 26 व्यक्तियों को डीएलसी मार्केट दर से कम दर पर भूखंड आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए गए. इनमें से 4 लाभार्थी अनुसुइया, गीता, राम और किरण इन चारों आरोपियों की पत्नियां थी.