कोटा. कोविड-19 डेडीकेटेड मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एसएसबी बिल्डिंग में देर रात एक कोरोना मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के चलते मौत का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि सोमवार रात ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से पूरे फ्लोर पर हड़कंप मच गया. वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ऑक्सीजन सप्लाई 2 से 5 मिनट के लिए बाधित हुई थी. उस दौरान भी ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से बंद नहीं हुई थी बस प्रेशर कम हो गया था.
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बारां की रहने वाली शिप्रा नागर को 12 अप्रैल को कोटा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था. महिला की रिपोर्ट बाद में कोरोना पॉजिटिव आई. महिला का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा था. इसलिए उसे ऑक्सीजन वाले वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था. सोमवार देर रात अचानक से एसएसबी ब्लॉक में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हुई. जिसके चलते शिप्रा नागर की मौत हो गई. मृतका के पति विमल का कहना है कि उनकी पत्नी रिकवर कर रही थी. वह खाना भी खाने लग गई थी और बातचीत भी कर रही थी. इसी बीच ऑक्सीजन की कमी के चलते उसकी मौत हो गई.
कोटा में ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम होने से कोरोना मरीज की मौत ऑक्सीजन रुकने से मेरी गोद में पत्नी ने दम तोड़ा
मृतका का पति विमल और उसका भाई कमलेश अस्पताल में ही थे. विमल नागर ने ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में कहा "रात को चिकित्सक ने जब राउंड किया तब कहा था कि रिकवरी अच्छी है. जब शिप्रा से हालचाल पूछा तब सिर हिलाकर कहा था कि मैं अच्छी हूं. वह खाना भी खा रही थी. डॉक्टर ने तीन-चार दिनों में डिस्चार्ज होने की बात भी कही थी. मैं सो गया था, मेरे भैया जागे हुए थे. अचानक सुबह पल्स कम चली, तब भैया ने मुझे जगाकर स्टाफ के पास भेजा, लेकिन उस स्टाफ नहीं आया. एक जान पहचान के कंपाउंडर हैं, उन्हें मैं बुलाकर लाया".
"कंपाउंडर ने एक इंजेक्शन भी लगाया तब पल्स थोड़ी सी वापस रिकवर हुई, लेकिन दोबारा डाउन होने लग गई. इस दौरान ही हमने पास के बाद में रेजीडेंट चिकित्सक से बात की तो वहां अन्य लोग भी थे, जो ऑक्सीजन सप्लाई अवरुद्ध होने की बात कह रहे थे. साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि 1 घंटे से ऑक्सीजन सप्लाई अवरुद्ध है. इस पर रेजीडेंट चिकित्सक ने जवाब दिया कि उन्होंने भी फोन कर दिया है. यह उनके हाथ में नहीं है. दूसरी तरफ कई मरीज तड़प रहे थे. वापस आकर भैया के साथ हम पंपिंग कर रहे थे, ऑक्सीजन की वजह से शिप्रा की जान चली गई. चिकित्सकों ने उसके मशीन भी लगाई, लेकिन वह नहीं बच सकी".
'अस्पताल और स्टाफ की नहीं है कोई गलती नहीं'
सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के अधीक्षक डॉ. निलेश जैन का कहना है कि ऑक्सीजन की सप्लाई महज 2 से 5 मिनट तक ही अवरुद्ध हुई थी. उसमें भी प्रेशर ही कम हुआ था. क्योंकि सिलेंडर जो आने चाहिए थे, वह समय से नहीं पहुंच पाए. सप्लायर पूरी मेहनत से ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है, लेकिन मांग काफी ज्यादा है. इसके चलते पूर्ति में भी समस्या आ रही है, लेकिन महिला की मौत होना दुखद है. इसके लिए स्टाफ और प्रशासन जिम्मेदार नहीं है. क्योंकि सभी भरसक प्रयास मरीज को बचाने के लिए किये गये थे.