कोटा. चंबल नदी पर 3 किमी लंबा रिवर फ्रंट बनने जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये रिवर फ्रंट राजस्थान ही नहीं बल्कि देश-विदेश में अपनी थीम के कारण पहचान बनाएगा. फिलहाल, रिवर फ्रंट का कार्य (Chambal riverfront construction) तेजी से चल रहा है लेकिन बारिश के सीजन में बैराज से पानी छोड़ा जाएगा. ऐसे में कार्य करना मुश्किल होगा. वहीं निर्माण कंपनी का दावा है कि काम बंद नहीं होगा.
चंबल नदी साल भर बहने वाली नदी है. इस पर एक हजार करोड़ रुपए की लागत से हेरिटेज रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है. हालांकि, बैराज से जब पानी बारिश के सीजन के दौरान छोड़ा जाता है, तब चंबल की डाउन स्ट्रीम में भारी मात्रा में पानी होता है. ऐसे में वहां पर रिवर फ्रंट के निर्माण के दौरान काम करना मुश्किल होगा लेकिन निर्माण कर रही कंपनी पर नगर विकास न्यास का दबाव था कि कार्य किसी भी सूरत में बंद नहीं होना चाहिए. ऐसे में कंपनी ने निर्माण कार्य बाधित नहीं हो, इसके लिए इंतजाम किए हैं. साथ ही दावा भी किया जा रहा है कि एक भी दिन बारिश के सीजन में कार्य बंद नहीं होगा.
निर्माण कंपनी का कहना है कि नदी के अंदर का कार्य पहले ही कर लिया गया है. अब बाहरी हिस्से का कार्य किया जाएगा. जब पानी छोड़ा जाएगा, तब यह कार्य प्रभावित भी नहीं होगा, जो कार्य नदी में बचा है. उसके बाद में बारिश के बाद किया जाएगा. जिससे कार्य भी होता रहे और किसी तरह की बाधा नहीं आए.
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पूरे 6 किलोमीटर के इलाके में एक साथ चल रहा काम
चंबल नदी में 3 किलोमीटर लंबाई में बन रहा हेरिटेज रिवर फ्रंट है. इसमें नदी के दोनों किनारों पर ही निर्माण कार्य एक साथ चल रहा है. बैराज की डाउन स्ट्रीम से लेकर रियासत कालीन चंबल की पुलिया तक निर्माण कार्य जारी है. एक साथ पूरे इससे किलोमीटर के सड़क मार्ग पर कार्य है. बारिश के दौरान नदी में जाने के रास्ते तैयार किए गए हैं. इसके अलावा मशीनरी भी नदी से पानी छोड़ने के दौरान तुरंत बाहर निकाली जाए, ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जो स्ट्रक्चर नदी के अंदर तैयार होने हैं. उनका फ्रेमवर्क पहले ही पूरा कर लिया गया है और अधिकांश कंक्रीट का काम भी नदी के तले पर पूरा हो गया है.
1050 मजदूर और बढ़ाए जाएंगे
नगर विकास न्यास के निर्देश पर निर्माण कर रही कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि अभी 1050 के आसपास मजदूर निर्माण के दौरान लगे हुए हैं. जिनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी. उनका कहना है कि बारिश के सीजन में भी चंबल में जब पानी छोड़ा जाएगा, तब निर्माण कार्य ऊपर की तरफ जारी रहेगा. इसकी पूरी व्यवस्था उन्होंने की है.
पहले नदी में था रास्ता, अब ऊपर दूसरा बनाया
पहले जहां पर लेबर और मशीनरी के साथ-साथ निर्माण में उपयोग आने वाली सामग्री ले जाने के लिए रास्ता नदी के अंदर से ही बना हुआ था. तब नदी में पानी नहीं था, ऐसे में बिना किसी रुकावट के यहां से कार्य किया जा रहा था, लेकिन अब पानी आने की संभावना है. ऐसे में वह रास्ता भी डूब में चला जाता है. इसके लिए यूआईटी के अधिकारियों के निर्देश पर एक और रास्ता ऊपर बना लिया गया है, जो कि रिवर फ्रंट के निर्माण स्ट्रक्चर के नजदीक ही है. ऐसे में अगर बारिश आती है, तो इस रास्ते का ही उपयोग किया जाएगा. हालांकि, अधिकांश कार्य में अब इस रास्ते का उपयोग किया जाने लगा है. ऐसा चंबल नदी के दोनों छोरों पर किया गया है.
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