राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

कोटा में फंसे 20 हजार बच्चे देख रहे घर वापसी की राह...बोले- UP और MP के छात्र गए, हमारी भी सुध ले लो

कोटा से कोचिंग छात्रों की वापसी का क्रम लगातार जारी है, लेकिन बिहार और झारखंड की सरकारें अपने बच्चों को ले जाने के लिए पहले ही मना कर चुकी हैं. ये बच्चे लगातार अपनी सरकार से अपील कर रहे हैं कि उन्हें यहां से लेकर जाएं. इनके साथ पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और महाराष्ट्र के भी बच्चे शामिल हैं.

kota news  lockdown in kota  students trapped in kota  coaching students in kota
कोटा में फंसे हुए छात्रों ने सरकार से लगाई गुहार...

By

Published : Apr 23, 2020, 6:47 PM IST

कोटा.कोटा से करीब 430 बसों में 16 हजार से ज्यादा बच्चे अपने-अपने गृह राज्यों को लौट गए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश सबसे पहला राज्य था, जिसने अपने बच्चों को बस में भेजकर बुलवा लिया. इस क्रम में मध्य प्रदेश और गुजरात भी शामिल हुआ. साथ ही यूनियन टेरिटरी दमन व दीव के साथ दादर व नागर हवेली के बच्चे भी अपने घरों को लौट गए हैं. इन सब बच्चों ने अपनी-अपनी सरकारों को धन्यवाद दिया है कि उन्हें कोटा से अपने गृह जिलों में पहुंचा दिया है. अब वह अपने पैरेंट्स के पास हैं और अपनी पढ़ाई को भी ठीक से कर सकते हैं.

यहां पर उन्हें एंजाइटी और डिप्रेशन के चलते पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. इसी क्रम में अब असम के बच्चों की भी घर वापसी होगी, लेकिन बिहार और झारखंड की सरकारें अपने बच्चों को ले जाने के लिए पहले ही मना कर चुकी हैं. ये बच्चे लगातार अपनी सरकार से अपील कर रहे हैं कि उन्हें यहां से लेकर जाएं. इनके साथ पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और महाराष्ट्र के भी बच्चे हैं.

यह भी पढ़ेंःकोटा में फंसे बच्चों को लेने के लिए असम से जयपुर पहुंचा चार्टर विमान

कोटा में फंसे हुए छात्रों ने सरकार से लगाई गुहार...

करीब 20 हजार बच्चे फंसे हैं

हालांकि इनमें राजस्थान के भी अन्य जिलों के बच्चे कोटा में अभी फंसे हुए हैं. इन छात्रों की संख्या करीब 20 हजार है, जो कि बिहार की करीब 6500, झारखंड के 3000 हरियाणा और महाराष्ट्र के 2000-2000, नॉर्थ ईस्ट और पश्चिमी बंगाल के एक-एक हजार छात्र हैं. इसके अलावा बचे हुए छात्र दिल्ली, उड़ीसा और हिमाचल प्रदेश के साथ राजस्थान के हैं.

कोटा में रुके हुए छात्रों का कहना है कि यहां पर पढ़ाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में वह डिप्रेशन में है. साथ ही घर वाले भी लगातार उनकी चिंता करते हैं. बार-बार उनसे बात होती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भी अपने परिजनों की चिंता सता रही है. कोविड-19 के चलते वे किस हालात में है, कैसे हैं. हम चाहते हैं कि हम सेफ तरीके से अपने घरों पर लौट जाएं.

इसी तरह से छत्तीसगढ़ की छात्रा सोनाली पवार का कहना है कि हमें पढ़ाई में दिक्कत आ रही है. रहने की भी दिक्कत आ रही है, यहां पर खाने की भी समस्या हमारे सामने खड़ी हो चुकी है. हमारी सरकार को कुछ करना चाहिए. हम घर तक पहुंच जाएं. हमारी सरकार को इस पर कदम उठाना चाहिए, हमारी पढ़ाई खराब हो जाती है.

जल्द से जल्द भेजें बसें

झारखंड की छात्रा मेघा का कहना है कि पहले हम हॉस्टल में बड़ी संख्या में छात्राएं रहती थीं. अब काफी कम लोग ही हॉस्टल में बचे हैं. मेरे फ्लोर पर महज हम दो लड़कियां ही हैं. मेरे पिता भी परमिशन के लिए झारखंड में ट्राई कर रहे हैं. झारखंड सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है कि वहां से कोई बस भेजी जाए. जबकि असम बहुत दूर है, वहां के बच्चों को भी कोटा से भेजा जा रहा है. हमें यहां पर इनसिक्योरिटी और एंजाइटी हो रही है, डर भी हमें लग रहा है. जल्द से जल्द झारखंड सरकार बसें यहां पर भेजें, ताकि हम सब घर चले जाएं.

हमारी सरकार भी हमारे लिए हल निकाले

मुंबई महाराष्ट्र की छात्रा ऋतु कनौजिया का कहना है कि 1 साल पहले में कोटा तैयारी के लिए आई थी. जब से लॉकडाउन हुआ है, पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है. हमारी फैमिली कैसी है, उनकी टेंशन रहती है. यहां पर भी हॉस्टल में अकेले हैं, पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है. डिप्रेशन भी इससे हो रहा है, मैं महाराष्ट्र सरकार से रिक्वेस्ट करती हूं कि हमारे लिए कोई सलूशन निकाला जाए, जिससे हम अपने घर पहुंचे सकें.

कोटा में केस बढ़ने से चिंता कर रहे हैं परिजन

बिहार के छात्र अंकित का कहना है कि खाना उन्हें मेस से पूरी मात्रा में नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा कोटा में केस बढ़ने से उनके परिजन भी लगातार चिंता कर रहे हैं. हम सभी स्टूडेंट्स दूसरे व्यक्ति पर डिपेंडेंट है. हमें खाना हो या रहना सब दूसरे के भरोसे ही है. इसके चलते हमें समस्याएं काफी हो रही है. बिहार सरकार से मैं कहना चाहता हूं, हमें जल्दी से जल्दी बुलवा लिया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details