कोटा.उत्तर प्रदेश के हाथरस में नाबालिक बच्ची से हुई ज्यादती के बाद बारां में भी पुलिस के खिलाफ आक्रोश उठकर सामने आया था. जिसमें लड़की के पिता ने ही पुलिस पर गंभीर आरोप लगा दिए थे कि दूसरे शहर में ले जाकर बच्चों से हुए दुष्कर्म के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही घटना को सामान्य बताया था. इस मामले में दोबारा न्यायालय में पुलिस ने 164 के बयान की अर्जी लगाई थी, जिसे मुख्य न्यायाधीश ने खारिज कर दी.
मामले के अनुसार पीड़िता के पिता ने पुलिस को एक परिवाद दिया था. जिसमें कहा था कि उसकी दोनों बेटियां डरी हुई थी. आरोपियों की धमकी का खौफ उनमें था. इसके चलते उन्होंने न्यायालय में वारदात के बारे में कुछ नहीं बताया और स्वेच्छा से ही घर जाने की बात कह दी थी. वहीं दूसरी तरफ बारां पुलिस इस मामले में अलग पहलुओं से भी जांच कर रही है. जिसमें दोनों नाबालिग बच्चियों की लोकेशन की जांच की जाएगी. पीड़िता के पिता कह रहे हैं कि दोनों बच्चियों को जयपुर और कोटा ले जाया गया था.
ऐसे में वहां के भी सीसीटीवी फुटेज पुलिस खंगालेगी. इस मामले में पुलिस ने कहा था कि बच्चियों के न्यायालय में 164 के बयान हुए थे. जिसमें उन्होंने स्वेच्छा से ही कोटा जाने की बात कही थी. हालांकि अब इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश किया था. जिसमें दोबारा 164 के बयान करवाने के लिए कहा था, लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया कि ऐसे मामलों में दोबारा बयान का प्रावधान नहीं है.
दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं है. उन्होंने भी इस पूरे प्रकरण के लिए दौसा सांसद जसकौर मीणा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी है, जो इस पूरे प्रकरण की जांच करेगी. बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस मामले के बाद सोशल मीडिया पर बारां के इस केस को भी जमकर उछाला गया है. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले में सफाई देते हुए ट्वीट किया था कि बारां और हाथरस के मामले को जोड़ा नहीं जा सकता. क्योंकि दोनों में अलग अलग तरह के मामले हैं.