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बजट स्पेशल : 'शिक्षा नगरी' को बजट से काफी उम्मीदें, देखें- ईटीवी भारत की खास पेशकश

1 फरवरी को केन्द्र सरकार द्वारा बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में कोटा के शिक्षण संस्थानों को इस बजट से काफी आस है. ईटीवी भारत ने इस बारे में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों से बात की, और जाना कि उन्हें बजट से क्या उम्मीदें हैं.

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Published : Jan 28, 2020, 5:05 PM IST

Updated : Jan 28, 2020, 10:41 PM IST

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Union Budget 2020

कोटा.राजस्थान का कोटा जिला शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है. कोटा को 'शिक्षा नगरी' के नाम से भी जाना जाता है. देशभर से करीब 2 लाख स्टूडेंट्स कोटा में पढ़ने के लिए आते हैं.

इस बार शिक्षा बजट 1 लाख करोड़ रहने की उम्मीद, शिक्षा नगरी को है कई उम्मीदें

1 फरवरी को केन्द्र सरकार द्वारा बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में कोटा के शिक्षण संस्थानों को इस बजट से काफी आस है. आमतौर पर देखा गया है कि बजट में शिक्षा को लेकर काफी कुछ होता है. ईटीवी भारत ने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों और अभिभावकों से जाना कि उन्हें बजट से क्या उम्मीदें हैं.

कोटा के शिक्षाविद देव शर्मा का कहना है, कि वर्ष 2018-19 में यूनियन बजट में 94,854 करोड का बजट शिक्षा के लिए रखा गया था, यह वर्ष 2017-18 से 10,000 करोड़ ज्यादा था. इस बार मुझे उम्मीद है कि शिक्षा के लिए करीब एक लाख करोड़ के आसपास का बजट रखा जाएगा.

देव शर्मा ने कहा, कि स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. उन्हें बहुत से ऑनलाइन फॉर्म भरने होते हैं, कई बार इस फॉर्मों का शुल्क काफी ज्यादा होता है. सरकार को इस क्षेत्र में जरूरी कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, कि हमारे देश में शिक्षा पर जीडीपी का 3 से 4 प्रतिशत खर्च किया जाता है. इस बजट को बढ़ाया जाना चाहिए. सरकार के शिक्षा की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए.

कॉमर्स कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. कपिल देव शर्मा ने कहा, कि दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है. दिल्ली में अब सरकारी स्कूलों की स्थिति अच्छी हो गई है. इसके अलावा सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर भी काफी हद तक रोक लगाई है.

कपिल देव शर्मा ने कहा, कि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं. पिछले दशक में हम आईटी के क्षेत्र में आगे थे. उसका हमें फायदा भी मिला. अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स का समय है. शर्मा ने कहा, कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है. शिक्षा रोजगारपरक होनी चाहिए. इसके अलावा शिक्षा में तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

शिक्षा को GST के दायरे से रखा जाए बाहर...
निजी कोचिंग संचालक सोनिया राठौड़ का कहना है, कि शिक्षा को GST के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए. GST शिक्षा महंगी हो जाती है. अभी शिक्षा पर 18 प्रतिशत GST वसूला जा रहा है जो काफी ज्यादा है.

सोनिया ने कहा, कि GST के कारण प्रत्येक बच्चे को सालाना करीब 5 से 10 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले स्टूडेंट्स इस भार को वहन करने में सक्षम ही नहीं होते.

राजेंद्र सिसोदिया नाम के एक अभिभावक का कहना है, कि वर्तमान में शिक्षा काफी महंगी हो गई है. एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले बच्चे के के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है.

एक अन्य अभिभावक मुरलीधर शर्मा का कहना है, कि सरकार के शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, खासकर सरकारी स्कूलों पर, जहां शिक्षा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है. इसके अलावा सरकारी स्कूलों में योग्य टीचर्स की नियुक्ति की जानी चाहिए.

Last Updated : Jan 28, 2020, 10:41 PM IST

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