कोटा. कोविड-19 के दौर के बाद बीते 2 सालों से कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स की संख्या गिर गई थी, लेकिन इस साल फिर स्टूडेन्ट्स बूम (Booming coaching Hub Kota) देखने को मिल रहा है यानी छात्रों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ये बढ़ती तादाद कई विद्यार्थियों के लिए परेशानियों का सबब भी हैं. दिक्कतें व्यावहारिक हैं. उन्हें हॉस्टल मिलने में असुविधा हो रही है, कईयों को मिल भी रहा है तो कोचिंग संस्थान से दूरी पर. दूसरी तरफ, हॉस्टल संचालकों ने भी छात्रों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए मनमाना किराया वसूलना शुरू कर दिया है. हाल ये है कि जेब ढीली करने पर भी उन्हें महंगे और मनमाने दामों तक में भी मनचाहा हॉस्टल नहीं मिल पा रहा है (Students Boom in Kota). बच्चों के साथ आए पेरेंट्स की तो यह भी शिकायत है कि उनसे किराया 35 हजार रुपए प्रति माह मांगा गया है.
2 लाख के आंकड़े को छू गया है कोटा: कोटा में स्टूडेंट्स का आंकड़ा 2 लाख को छू गया है. इस बार सबसे बड़े कोचिंग संस्थान एलन में करीब 91 हजार एडमिशन अभी तक हो गए हैं और यह प्रक्रिया लगातार जारी है. इसके अलावा अन्य कोचिंग संस्थान मोशन, रेजोनेंस, फिजिक्स वाला, अनअकैडमी, रिलायबल, बंसल और न्यूक्लियस सहित अन्य कोचिंग सेंटर्स में भी करीब 60 हजार बच्चे दाखिला ले चुके हैं. एलन करियर इंस्टिट्यूट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पंकज बिरला का कहना है कि इस बार कोटा कोचिंग के प्रति स्टूडेंट्स और पैरेंट्स का रुझान काफी शानदार है. जितना भी कोटा वासियों ने सोचा था, उससे काफी ज्यादा रेस्पॉन्स इस बार मिल रहा है. लोग देश के विभिन्न कोनों से आकर अपने बच्चों का एडमिशन करवा रहे हैं. जिस तरह से पहले लग रहा था कि कोरोना के बाद ऑनलाइन की तरफ मार्केट शिफ्ट हो रहा है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. लोग वापस ऑफलाइन की तरफ आ रहे हैं. पेरेंट्स भी ऑफलाइन में ही ज्यादा विश्वास जता रहे हैं. इसका पूरा श्रेय कोटा की फैकल्टी, स्टाफ और यहां के लोगों को जाता है. कोविड-19 के दौरान भी बच्चों को काफी मन से पढ़ाया गया है.
छात्र महंगे और दूरी पर हॉस्टल लेने को मजबूर इम्तिहान में देरी से स्थिति थोड़ी अलग: पंकज बिरला के अनुसार कोविड-19 के पहले का हमारा पीक था, उसको भी हम इस साल क्रॉस कर जाएंगे. हमारी उम्मीद से ज्यादा करीब 20 से 25 फीसदी से ज्यादा बच्चे कोटा पहुंचे हैं. कोटा में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर बच्चों के लिए है. बिरला Student's Boom की एक अहम वजह मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परिक्षाओं में हुई देरी को भी मानते हैं. कहते हैं- मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम में देरी के चलते पहले से जो बच्चे थे, वो वापस नहीं जा पाए हैं. इसके चलते ओवरलैपिंग हो गई. लेकिन जब पुराने बच्चे जुलाई में होने वाली परीक्षाओं के बाद जाएंगे तब वापस बच्चों को सभी चीजें नॉर्मल मिल जाएंगी.
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फीस से ज्यादा किराया: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से कोचिंग के लिए आए आशीष कुमार का कहना है कि उन्होंने अपने कोचिंग संस्थान से 2 किलोमीटर के एरिया में हॉस्टल की तलाश की, लेकिन नहीं मिल पाया. आखिर में पीजी में शिफ्ट होना पड़ा. यहां पर जो हॉस्टल मिल रहे हैं, उनके दाम हमारे बजट से काफी ज्यादा हैं (rent in kota). यहां पर 12 से 15 हजार रुपए तक हॉस्टल रेंट पर उपलब्ध हैं. अगर हम इतना किराया देंगे तो हर साल करीब दो लाख का खर्चा कोटा में रहने का हो जाएगा. यह हमारी कोचिंग की फीस से भी ज्यादा है.
इधर, एक कमरे का मांगा 35000 किराया:हिंदूपुर इंडस्ट्रियल एरिया में नए कोचिंग संस्थान आए हैं. वहां पर हॉस्टल पहले से ही कम हैं. तो हॉस्टल संचालकों ने कमी का फायदा उठाना शुरू कर दिया है और अपने किराए को भी दुगना कर दिया है. यह किराया 35 हजार तक पहुंच गया है! उड़ीसा से कोटा में बच्चे को कोचिंग करवाने आईं प्रिया रानी मलिक से हॉस्टल में यह किराया मांगा गया. उन्होंने घंटों तलाश करते हुए 8 से 10 हॉस्टल देखे, लेकिन बजट में कोई नहीं था. उनका कहना है कि कम से कम हॉस्टल का बजट ही 15,000 है. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के उमरिया जिले से अपनी बेटी को कोचिंग करवाने के लिए कोटा लेकर आए गुलाबचंद का कहना है कि हमारे हॉस्टल का बजट 5 से 6 हजार है, लेकिन यहां पर रुकने से भी ज्यादा दाम में हॉस्टल मिल रहे हैं. हमने घंटों तक हॉस्टल तलाश लिए, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.
डिमांड और सप्लाई ने शूटअप किया रेंट: लखनऊ से आए डॉ. गुरुप्रीत सिंह का कहना है कि 15,000 के आसपास बच्चों के हॉस्टल के दाम होने चाहिए. जिसमें सब कुछ शामिल होना चाहिए, लेकिन यहां पर ज्यादा है. मैं एक जगह गया था, 23 हजार रुपए मासिक रेंट मांगा गया. यह दाम डिमांड और सप्लाई के चलते ही बढ़े हैं.अब रेंट काफी शूटअप हो गए हैं. इससे काफी प्रॉब्लम है, हॉस्टल कम हैं और बच्चे ज्यादा हैं. बच्चों की भीड़ कोचिंग के बाहर लग रही है. हॉस्टल वालों ने भी दाम जस्ट डबल कर दिए हैं. फिर भी रूम अवेलेबल ही नहीं हैं. ऐसे में एक रूम अगर खाली होता है, तो उसको लेने के लिए 10 बच्चे पहुंच जाते हैं.
जिम्मेदार बोले- होगी कार्रवाई:कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल वही कह रहे हैं जिसकी अपेक्षा उनसे की जा सकती है. एग्जाम ओवरलैपिंग को ही मुख्य कारण बता रहे हैं. कहते हैं कोटा में काफी तादाद में बच्चे आ रहे हैं, साथ ही पुराने बच्चे भी यहां पर मौजूद हैं. इसी के चलते काफी दिक्कत पैरंट्स और बच्चों को आ रही है. बच्चों को रूम नहीं मिल रहे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि जेईई मेन और नीट एग्जाम के बाद हॉस्टल से पुराने बच्चे चले जाएंगे. ये करीब 50 हजार बच्चे होंगे. इससे इस महीने के बाद हालात में सुधार होगा. रही बात किराया बढ़ाने की तो इस संबंध में सभी हॉस्टल संचालकों को पहले भी आगाह किया है. अब उन्हें अल्टीमेटम देंगे, स्टूडेंट्स से ज्यादा किराया नहीं वसूला जाना चाहिए.
जहां खाली, वहां जाने की देंगे सलाह:कोटा नगर निगम दक्षिण के पार्षद गोपाल राम मंडा का कहना है कि अभी भी कोटा के कई इलाकों में पीजी रूम खाली हैं. कोचिंग की बिल्डिंगों के आसपास का तो पूरा एरिया खचाखच भर गया है, लेकिन यहां से करीब आधा से लेकर 2 किलोमीटर तक के एरिया में काफी संख्या में रूम खाली हैं. मेरा मानना है कि अभी कोटा में 2 लाख बच्चे हैं जबकि 1 लाख बच्चों को इन एरिया में रूम अभी मिल सकता है. पार्षद गोपाल राम मंडा का यह कहना है कि इस संबंध में वे कोचिंग एरिया के सीपीओ और कोचिंग संस्थानों को भी अवगत कराएंगे, ताकि वे स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स को इन इलाकों में हॉस्टल या पीजी रेंट पर लेने के लिए भेजें.
वापस नहीं लौटे हैं कई मैस संचालक :पार्षद मंडा का यह भी कहना है कि कोविड-19 के बाद काफी परेशानी इस साल आई है. कई लोग अपने मैस को बंद करके चल गए थे, वे दोबारा नहीं लौटे हैं. इन मैस संचालकों पर काफी रुपया यहां का बकाया था. चूंकि वो वापस नहीं आ पा रहे हैं तो मैस की संख्या खुद ब खुद कम हो गई है. इस कारण पीजी में रहने वाले बच्चों के सामने टिफिन सर्विस और मैस में खाने की समस्या आ रही है. इसके अलावा हॉस्टल की रिपेयरिंग नहीं हुई जिससे कई हॉस्टल चालू नहीं हो पाए. साथ ही हॉस्टल मालिक और लीज होल्डर के बीच लेन-देन के मसले के चलते भी कई क्षेत्रों में हॉस्टल चालू नहीं हुए हैं. दावा करते हैं कि आने वाले दिनों में सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा.