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81 वर्षीय व्यवसायी की घरवालों ने पूरी की अंतिम इच्छा, कोटा मेडिकल कॉलेज को दान की देह - कोटा मेडिकल कॉलेज की खबर

कोटा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को गुरुवार को एक देह प्राप्त हुई. जो बल्लभबाड़ी निवासी 81 वर्षीय पदमचंद बंसाली की है. जो पेशे से व्यवसायी थे. देह की कोरोना जांच कराने के बाद ही एनाटॉमी विभाग ने देह को स्वीकार किया.

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कोटा मेडिकल कॉलेज को मिली देह

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Published : Jun 25, 2020, 4:05 PM IST

कोटा.मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को व्यवसायी पदमचंद भंसाली का देहदान हुआ. कॉलेज को इस साल यह चौथी देह मिली है. जबकि कोरोना काल में यह पहला देहदान है. सबसे पहले मृतक की कोरोना जांच कराई. रिपोर्ट नेगेटिव आने पर देह को मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया गया.

एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा जायसवाल ने बताया कि बल्लभबाड़ी निवासी व्यवसायी पदमचंद भंसाली 81 साल के थे. जिनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. व्यवसायी को डायबिटीज और हाइपरटेंशन की बीमारी थी. जिसकी वजह से उनका निधन हो गया.

कोटा मेडिकल कॉलेज को मिली देह

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पदमचंद भंसाली की अंतिम इच्छा थी कि उनकी देह को मेडिकल कॉलेज में दान करें, ताकि मेडिकल बच्चों के रिसर्च में काम आ सके. लेकिन परिजन फैसले में साथ नहीं थे. बावजूद इसके पदमचंद के निधन के बाद परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी की. उनके पौत्र प्रशांत भंसाली ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना से संपर्क किया.

डॉ. प्रतिमा जायसवाल के मुताबिक जैसे ही देह मेडिकल कॉलेज आई तो सबसे पहले उसको सैनिटाइजर करवाया गया. बाद में डॉक्टर और स्टाफ ने पीपीई किट पहनकर देह को एनाटॉमी विभाग में रखा.

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डॉ. जायसवाल ने बताया कि कोरोना काल में कोई भी व्यक्ति देहदान का संकल्प पत्र भर सकता है. कोविड-19 की जांच के बाद अगर वह देह नेगेटिव आती है तो उसे एनाटॉमी विभाग स्वीकार कर लेगा. व्यवसायी पदमचंद की देह को मिलाकर मेडिकल कॉलेज को अब तक 35 देह दान के रूप में मिल चुकी हैं.

15 घंटे के भीतर हो सकता है देहदान

मृत्यु के उपरांत देह का दान अधिकतम 15 घंटे के अंदर किया जा सकता है. अगर किसी कारणवश विलम्ब होता है तो मृत देह को बर्फ में सुरक्षित रखें, जिससे मृत देह खराब ना हो. यही प्रक्रिया अधिक गर्मी में भी अपनाएं, जिससे मृत देह परीक्षण हेतु सुरक्षित रहे.

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