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Special : मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी चरम पर, बीमार मरीजों के परिजनों से हो रही लूट

कोरोना पीड़ितों को मेडिकल उपकरणों की जरूरत पड़ रही है, जो कि मुंह मांगे दामों पर उन्हें मिल रहे हैं. कई दुकानदार ऐसे हैं, जो कि इनकी कालाबाजारी करने से भी नहीं चूक रहे हैं. जो सामान पहले 500 रुपये में आ जाता था, उसे ही 3 गुने दामों पर खरीदना लोगों की मजबूरी बना हुआ. लोग पहले ही बीमार परिजन के उपचार और देखभाल से परेशान हैं, इसके बाद यह कालाबाजारी भी उनके साथ एक तरह की लूट मारी ही हो रही है. देखिये कोटा से ये रिपोर्ट...

black marketing in kota
कालाबाजारी का काला खेल

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Published : May 7, 2021, 9:57 AM IST

कोटा.कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते हर व्यक्ति प्रभावित है. यहां तक कि जिन लोगों के परिजन अस्पतालों में भर्ती हैं या फिर घरों पर ही उपचार करवा रहे हैं, उन्हें मेडिकल उपकरणों की जरूरत पड़ रही है, जो कि मुंह मांगे दामों पर उन्हें मिल रहे हैं. दूसरी तरफ सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा का कहना है कि मेडिकल उपकरणों के बारे में शिकायत मिल रही है, उन सभी पर कार्रवाई की जा रही है. किसी भी व्यक्ति को एमआरपी से ज्यादा दाम पर उपकरण नहीं बेचने दिया जा रहा है. ग्राहक हर सामान खरीद का बिल जरूर लें, ताकि संबंधित मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई की जा सके.

मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी चरम पर...

नहीं मिल रहे हैं ऑक्सीजन रेगुलेटर...

अस्पताल में बेड नहीं मिलने पर मरीज घर पर ही इलाज करवा रहा है. ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है. लेकिन यह सिलेंडर का जुगाड़ कर रहे हैं. इसके लिए 300 रुपये रोज तक का किराया भी लोग देने को मजबूर हो रहे हैं. इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम भी बढ़ गए हैं. जहां पहले ऑक्सीजन सिलेंडर 8000 से 9000 रुपये तक मिल जाता था. अब यह 12000 रुपये में भी बाजार में नहीं मिल रहा है. यहां तक कि ऑक्सीजन का रेगुलेटर के दाम तो 5 गुना से भी ज्यादा बढ़ गए हैं. पहले जहां 600 से 1000 रुपये तक में रेगुलेटर मिलता था, अब बाजार में उपलब्ध नहीं होने के चलते 5000 रुपये तक भी लोग इसके लिए देने को तैयार हैं, लेकिन वह मिल नहीं रहा है. जो लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के रेगुलेटर रखते हैं, वे भी कालाबाजारी कर रहे हैं.

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170 रुपये में बेचा था, अब हमें भी नहीं मिल रहा...

जगदीश होटल पल्स ऑक्सीमीटर बेच रहे हैं. एक व्यक्ति ने इसे 1000 रुपये में बेचा है, जबकि उसी दुकानदार का कहना है कि उसने कुछ दिन पहले जब कोविड-19 का असर कम था, उस समय 170 रुपये में भी बेचा था. अब हालात बदल गए हैं. ये बाजार में भी मिल नहीं रहे. हम खुद इसको 950 रुपये में लेकर आए हैं. इसी तरह से वेपोराइजर या स्टीम इनहेलर 150 से 250 रुपये में हमने बेचे हैं. इसके बावजूद अब दाम दोगुने हो गए हैं. इसका स्टॉक काफी बाजार में है, इसलिए दाम अभी भी ज्यादा नहीं बढ़ें हैं.

कालाबाजारी पर कार्रवाई भी...

एमआरपी 5 गुना ज्यादा...

मेडिकल और सर्जिकल के जितने भी उपकरण आते हैं, उन पर अधिकतम खुदरा मूल्य 5 से 6 गुना ज्यादा होता है. इसके चलते लोगों को महंगे दाम पर ही उपकरण खरीद में पड़ रहे हैं. जबकि दुकानदार को यह माल काफी सस्ते दामों पर मिलता है. जगदीश होटल के नजदीक होलसेल मार्केट में दुकान संचालित करने वाले का कहना है कि सर्जिकल आइटम पर करीब 60 से 70 फीसदी तक दरें ज्यादा अंकित होती हैं. इसी का फायदा मेडिकल स्टोर्स वाले उठाते हैं. इधर कुछ दुकानदारों का कहना है कि अब माल उन्हें महंगा मिल रहा है. इसके चलते भी बाजार में महंगा माल सप्लाई कर रहे हैं.

पहले के दाम से अब मिल रहे तीन गुना से भी महंगे...

मेडिकल उपकरणों के दामों की स्थिति...

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