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कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत, बीजेपी विधायक ने साधा सरकार पर निशाना

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों के मामले में बीजेपी नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. जानकारी मिलने के बाद कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा जेके लोन अस्पताल पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा.

death of children in JK Lone Hospital, Sandeep Sharma targeting government
बीजेपी विधायक ने साधा सरकार पर निशाना

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Published : Dec 11, 2020, 4:03 AM IST

कोटा.जिले के जेके लोन अस्पताल लगातार बच्चों की मौत का आंकड़ा इस बार भी बढ़ रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार को इस मुद्दे को लेकर घेरना शुरू कर दिया है. बच्चों की मौत की जानकारी मिलने के बाद कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा जेके लोन अस्पताल पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने साफ सरकार पर ही निशाना लगा दिया.

बीजेपी विधायक ने साधा सरकार पर निशाना

उन्होंने कहा कि सरकार की सबसे बड़ी लापरवाही है. पिछले साल जब हंगामा हुआ था, तब तो चिकित्सक यहां पर भेज दिए थे, लेकिन अब वह चिकित्सक यहां पर नहीं हैं. वे ट्रांसफर करा कर चले गए हैं. इसके लिए खुद जिम्मेदार चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा हैं. जेके लोन अस्पताल में भर्ती 230 बच्चों के इलाज के लिए एक प्रोफेसर और एक एसोसिएट प्रोफेसर ही होना सबसे बड़ी लापरवाही है. जबकि यहां पर कोटा के साथ-साथ बारां, बूंदी और झालावाड़ सहित मध्य प्रदेश के लोग भी आते हैं और चिकित्सकों के अभाव में उनके बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. एक दिन में 9 बच्चों का मर जाना काफी दुखद है. पिछली बार जब मौतें हुई थी, तब मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री ने कहा था कि यह सामान्य बात है. बच्चों की मौतें तो होती रहती हैं.

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सीनियर डॉक्टरों के 7 में पांच पद खाली

मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में प्रोफेसर के 3 पद स्वीकृत हैं, लेकिन उनकी जगह केवल एक ही प्रोफेसर डॉ. अमृतलाल बैरवा लगे हुए हैं, जो कि विभागाध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा एसोसिएट प्रोफेसर के 4 पद हैं, लेकिन उनकी जगह केवल अमृता मैंगलर पदस्थापित हैं. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के 7 पद हैं. सब के सब पर चिकित्सक कार्यरत हैं. सीनियर रेजिडेंट के यहां पर 7 में दो पद रिक्त हैं. साथ ही अस्पताल में शिशु रोग विभाग के अधीन 6 मेडिकल ऑफिसर भी कार्य कर रहे थे, लेकिन उनको भी दूसरे काम में लगा दिया गया है. अब केवल दो ही मेडिकल ऑफिसर कार्यरत हैं.

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