कोटा.चुनावों में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नामांकन दर्ज करने के कई मामले सामने आते रहे हैं. इस बार एक ऐसा ही मामला कोटा दक्षिण नगर निगम में सामने आया. जिसमें वार्ड नंबर 25 से अपर्णा ने अपना बीजेपी से नामांकन दाखिल करवाया, जिनके सर्टिफिकेट को अधिकारियों ने फर्जी करार दे दिया. इसकी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर तक भी पहुंचाई गई, लेकिन उनका नामांकन खारिज नहीं हुआ है. ऐसे में जनरल प्रत्याशी रिजर्व वार्ड से चुनाव लड़ेगा. मीडिया को इसका पता लगने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. प्रशासन ने जांच में इस प्रमाण पत्र को अवैध मान लिया है और अब निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. हालांकि, नामांकन खारिज नहीं करने से प्रत्याशी चुनाव जरूर लड़ेगा.
भाजपा की प्रत्याशी अपर्णा ने नामांकन में फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट जमा करवाया जानकारी के अनुसार वार्ड नंबर 25 कोटा दक्षिण का ओबीसी महिला के लिए रिजर्व था. यहां से भारतीय जनता पार्टी ने अपर्णा को टिकट दिया. उन्होंने अपना ओबीसी का प्रमाण पत्र भी बनाकर नामांकन के साथ जमा करा दिया. हालांकि इस संबंध में 19 अक्टूबर को ही रिटर्निंग ऑफिसर और जिला परिषद की ACEO प्रतिभा देवठिया के पास शिकायत की गई. उन्होंने इस संबंध में पत्र भी ओबीसी का सर्टिफिकेट जारी करने वाले एसडीएम दीपक मित्तल को भेज दिया. जहां से इस सर्टिफिकेट के बारे में जांच शुरू हुई.
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लाडपुरा तहसीलदार गजेंद्र सिंह ने इसकी जांच करवाई और साथ ही उसे प्रारंभिक तौर पर अवैध मानते हुए प्रत्याशी अपर्णा के घर पर नोटिस भी चस्पा किए. जिसमें जिक्र किया गया है कि अपर्णा को सर्टिफिकेट गलत जारी हो गया है. जिसे निरस्त करवाने की कार्रवाई की जा रही है. इस जाति प्रमाण पत्र का उपयोग किए जाने पर आप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. जिसके लिए स्वयं जिम्मेदार हैं. इसकी जानकारी रिटर्निंग ऑफिसर प्रतिभा देवठिया को भी दे दी गई, लेकिन उन्होंने अपर्णा का नामांकन खारिज नहीं किया. इसके चलते वह वार्ड नंबर 25 से प्रत्याशी रहेंगी, जबकि तहसीलदार ने अपनी जांच रिपोर्ट में अपर्णा पर साक्ष्य छुपाकर सर्टिफिकेट बनाने का आरोप लगाया है. जिसमें उन्हें सामान्य वर्ग से आना बताया है.
एसडीएम दीपक मित्तल का मानना है कि गलती से सर्टिफिकेट जारी हो गया था. इस संबंध में उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर को भी जानकारी भेज दी है. इसके बाद उन्हें निर्णय करना था. हालांकि इस सर्टिफिकेट को कलेक्टर के द्वारा बनाई गई 4 सदस्य कमेटी द्वारा ही निरस्त किया जा सकता है. ऐसे में वह भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जबकि रिटर्निंग ऑफिसर प्रतिभा देवठिया का कहना है कि आपत्ति के बाद उन्होंने खुद इस संबंध में एसडीएम से जानकारी मांगी थी, उन्होंने मुझे जांच रिपोर्ट जरूर भेजी है लेकिन सर्टिफिकेट निरस्त के संबंध में जानकारी नहीं दी. इसलिए नामांकन को खारिज नहीं किया. रिटर्निंग ऑफिसर प्रतिभा देवठिया ने यह भी कह दिया कि जिस सर्टिफिकेट को जांच के लिए उन्होंने भेजा था. उसकी जगह जिसकी जांच रिपोर्ट आई है उसमें नाम अलग है. जबकि उन्होंने जो लेटर भेजा था, उसी लेटर को आधार बनाकर एसडीएम दीपक मित्तल ने उन्हें पत्र भेजा है.