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Outlet In Kota Jail: तिहाड़ की तर्ज पर कोटा जेल में खुला आशाएं आउटलेट...बंदियों के बनाए उत्पाद खरीद सकेंगे आमजन - कोटा रेंज आईजी रविदत्त गौड़

कोटा सेंट्रल जेल (Central Jail Kota) में तिहाड़ की तर्ज पर आशाएं आउटलेट (Ashayen Outlet) की शुरुआत की गई है. इस आउटलेट में बंदियों की ओर से तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री की जाएगी जिसे आमजन भी खरीद सकेंगे. इस आउटलेट का नाम आशाएं दिय गया है.

Outlet In Jail , जेल में आउटलेट
कोटा जेल में खुला आशाएं आउटलेट

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Published : Nov 22, 2021, 5:47 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 7:05 PM IST

कोटा. सेंट्रल जेल कोटा (Central Jail Kota) में लगातार नवाचार किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में एक और नवाचार के तहत घरेलू उत्पाद बिक्री का एक आउटलेट कोटा जेल में (Outlet In Kota Jail) खोला गया है. इस आउटलेट से आमजन जेल में बंद कैदियों के तैयार किए गए सामानों को बाजार से कम दाम पर खरीद सकेंगे. यह प्रदेश का पहला जेल आउटलेट है. जयपुर में जेल विभाग ऐसा आउटलेट संचालित कर रहा है.

कोटा सेंट्रल जेल (Central Jail Kota) में दिल्ली की तिहाड़ जेल की तर्ज पर शॉप खोली गई है जिसे 'आशाएं" (Ashayen Outlet) नाम दिया गया है. इस शॉप में सेंट्रल जेल के बंदियों के तैयार किए गए सामान बिक्री के लिए रखे जाएंगे जिसे आमजन भी खरीद सकेंगे. आज इसका उद्घाटन कोटा रेंज आईजी रविदत्त गौड़ ने किया. कैदियों को भी इस शॉप से होने वाली आय से पैसा मिलेगा जिसको वे अपने परिजनों को भेज सकेंगे. दूसरी तरफ 25 फीसदी राशि पीड़ित पक्ष को भी दी जाएगी.

कोटा जेल में खुला आशाएं आउटलेट

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उद्घाटन समारोह में कोटा शहर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय राजेश मील और जेल सुपरिटेंडेंट सुमन मालीवाल भी मौजूद थीं. आईजी रविदत्त गौड़ ने कहा कि केंद्रीय कारागार में नवाचार लगातार कोटा में हो रहे हैं. इनोवेशन के जरिए कैदियों को भी रोजगार मिल रहा है. उनके बनाए हुए जो प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं, उन्हें बेचने के लिए काउंटर लगाया है. निश्चित रूप से बंदियों को इसका फायदा मिलेगा. यहां पर नो प्रॉफिट, नो लॉस पर काम होगा. साथ ही मार्केट से भी कम दाम पर प्रोडक्ट लोगों को उपलब्ध करवाए जाएंगे. इस तरह के नवाचार बच्चों में सुधारात्मक प्रयास के सकारात्मक कदम हैं.

जेल सुपरिटेंडेंट सुमन मालीवाल का कहना है कि जेल में 200 से ज्यादा बंदी इस काम से जुड़े हैं. यह 27 तरह के अलग-अलग प्रोडक्ट बनाते हैं, ज्यादातर घरेलू उपयोग में आने वाली चीजें ही बनाई गईं हैं. इनमें टॉयलेट और टाइल्स क्लीनर, घरेलू मसाले, दरी पट्टी, हैंडवॉश, साबुन, फिनायल आदि शामिल हैं.

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कैदी बोले घर भेज सकेंगे पैसा

जिन कैदियों से यह काम करवाया जा रहा है. उनका भी कहना है कि उन्होंने जो अपराध किया था उसकी सजा वे तो भुगत ही रहे हैं, उनके परिजन भी भुगत रहे हैं. क्योंकि पहले वह कुछ न कुछ काम करते थे, जिससे कुछ आमदनी होती थी और घर का गुजर-बसर चलता था, लेकिन अब उसमें भी दिक्कत आ गई है. ऐसे में जेल में वे जो काम कारखाने में कर रहे हैं, उसके जरिए जो आमदनी होती है वह उनके बैंक खाते में आ जाती है. उसे वे अपने परिजनों को भी भेज सकेंगे.

झालावाड़ के रहने वाले कैदी कालू जांगिड़ का कहना है कि उन्हें अब तक 35 हजार रुपए की आय हुई है. यह राशि उन्होंने अपने घर भी भिजवाई है. उसका कहना है कि हमें रोजगार के लिए जेल के बाहर जाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही. परिवार वालों तक यह राशि भी पहुंच जा रही है.

Last Updated : Nov 22, 2021, 7:05 PM IST

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