कोटा.कोटा विश्वविद्यालय (Kota University) में इस साल से पीजी डिप्लोमा में अप्लाइड रेप्टिलियन साइंस कोर्स (Applied Reptilian Science Course) शुरू होने जा रहा है. जिसमें सरीसृप के बारे में स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाएगा. इस कोर्स के लिए एकेडमिक काउंसिल और बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) से अनुमति ले ली गई है. इसका पूरा कोर्स डिजाइन कर लिया गया है. इसे कोर्स ऑफ करिकुलम कमेटी से इसी महीने पास करवाया जाएगा जिसके बाद इस पाठ्यक्रम में स्टूडेंट्स एडमिशन ले सकेंगे.
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. आरके उपाध्याय ने दावा किया है कि इस तरह का कोर्स केवल दक्षिण भारत में ही एक जगह संचालित किया जा रहा है. राजस्थान में यह पहला कोर्स है. कोटा विश्वविद्यालय की वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की समन्वयक डॉ सुरभि श्रीवास्तव का कहना है कि यह कोर्स सरीसृप से जुड़ा हुआ है. इसमें सांप के साथ मगरमच्छ, कछुए व छिपकली की सभी प्रजातियों को शामिल किया है. जिसमें सरीसृप की एनाटॉमी में बॉडी पार्ट्स और ऑर्गन के बारे में समझाया जाएगा.
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इसमें श्वास और भोजन नली, हार्ट, किडनी, आमाशय, फेफड़े, हड्डियों और ढांचे के बारे में भी समझाया जाएगा. इसके अलावा फिजियोलॉजी कैसी रहती है, सांप सर्दी में बाहर क्यों नहीं आते हैं, गर्मी में बाहर क्यों आते हैं, ज्यादा गर्मी होने पर गायब क्यों हो जाते है. उनका मौसम से क्या व्यवहार रहता है. इन सभी चीजों के बारे में बताया जाएगा. साथ ही सांप की कार्डियक साइकिल, ब्लड सरकुलेशन, इम्यूनोलॉजी, हियरिंग और सेंसिंग इकोलॉजी भी कोर्स में शामिल है. इनमें होने वाली बीमारियां और उनके उपचार के बारे में बताया जाएगा.
पहले एक चैप्टर था, अब पूरा कोर्स
कोटा विश्वविद्यालय में वाइल्ड लाइफ साइंस डिपार्टमेंट की कोऑर्डिनेटर डॉ सुरभि श्रीवास्तव का कहना है कि वाइल्ड लाइफ साइंस डिपार्टमेंट में एमएससी पहले से करवाई जा रही है. इसी में एक चैप्टर अप्लाइड रेप्टिलियन साइंस का है. इसे ही आगे बढ़ाकर डिप्लोमा कोर्स हमने तैयार कर दिया है. इस 1 वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स में विज्ञान बैकग्राउंड के विद्यार्थी ही प्रवेश ले सकेंगे. यह विद्यार्थी बीएससी करने के बाद इस कोर्स को कर सकेंगे. इसमें 2 सेमेस्टर होंगे. प्रत्येक सेमेस्टर में 3 थ्योरी और दो प्रैक्टिकल एग्जाम होंगे. पहले साल कोर्स के लिए 20 विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाया जाएगा. इस कोर्स में विद्यार्थियों को प्रवेश लेने पर 24 हजार रुपए फीस देनी होगी. उन्हें क्लास रूम स्टडी के साथ प्रैक्टिकल लैब में करवाए जाएंगे. इसके अलावा फील्ड विजिट भी करवाई जाएगी. जहां पर वह ज्यादा से ज्यादा सरीसृप के बारे में समझ सकें.
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फैकल्टी भी एमएससी पीएचडी, नेट क्वालिफाइड
डॉ. सुरभि श्रीवास्तव के अनुसार नए कोर्स के लिए फैकल्टी को अपॉइंट विश्वविद्यालय में किया जाएगा. जिन स्टूडेंट्स ने एमएससी वाइल्डलाइफ या जूलॉजी में की हुई है. इसके अलावा वे पीएचडी या नेट सेलेक्ट कैंडिडेट फैकेल्टी मेंबर बन सकता है. क्या स्टूडेंट्स प्रवेश लेंगे, इस सवाल पर डॉ सुरभि श्रीवास्तव ने कहा कि उनका कहना है कि जिन बच्चों ने हमारे यहां से वाइल्ड लाइफ साइंस में एमएससी की है. वे इस कोर्स में भी प्रवेश के इच्छुक हैं. उन्होंने सरीसृप के बारे में बेसिक पढ़ाई की है. अब वे सरीसृप के बारे में होने वाले इस स्पेशलाइजेशन कोर्स में ज्यादा पढ़ना व समझना चाहते हैं. इसके अलावा वेटरनरी साइंस से जुड़े हुए चिकित्सकों को भी स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए गेस्ट फैकल्टी के तौर पर बुलाया जाएगा. उनके सेमिनार या कांफ्रेंस आयोजित कर लेक्चर करवाए जाएंगे.
उत्पत्ति, इतिहास से लेकर वर्तमान की सरंचना तक
डॉ. सुरभि श्रीवास्तव के अनुसार जितने भी सरीसृप होते हैं उनके बारे में इस कोर्स में पढ़ाया जाएगा. इसमें सांप, कछुए, छिपकली, मगरमच्छ, व अन्य शामिल है. इसमें इन्हें पकड़ना, रेस्क्यू करना, जंगल मे छोड़ना सिखाया जाएगा. इसके अलावा स्नेक बाइट का उपचार कैसे होता है. सरीसृप की अलग-अलग प्रजाति, उत्पत्ति व अभी तक की संरचना और इतिहास भी पढ़ाया जाएगा. छोटे से लेकर बड़े शरीर सरीसृप के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी जिनमें डायनोसोर भी शामिल है. ये उभयचर से सरीसृप कैसे बने इस बारे में भी पढ़ाया जाएगा. भारत में मिलने वाले और खास तौर पर राजस्थान व हाड़ौती में मिलने वाले सभी सरीसृप के बारे में बच्चों को ट्रेंड किया जाएगा. इस कोर्स में वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट भी शामिल किया है.
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सांपों के व्यवहार की पहचान भी सिखाई जाएगी
कई सांप जहरीले नहीं होते हैं. कितने तरह के जहरीले सांप होते हैं, कितने बिना जहर वाले होते हैं, सांपों की प्रजातियां, भारत और खासकर राजस्थान में कितने तरह के सांप होते हैं और उन्हें कैसे पहचाना जा सकता है यह सब इस कोर्स के करिकुलम में शामिल किया गया है. सांप के व्यवहार के बारे में भी स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाएगा. सरीसृप की प्रजातियों, मोरफॉलोजी, साइज से उन्हें पहचानना, सेक्स डिटरमिनेशन, सरीसृप पैरेंटल केयर कैसे करते हैं, यह भी कोर्स में शामिल है. उनकी ब्रीडिंग साइकिल और इकोलॉजी भी कोर्स में है. सरीसृप के जेनेटिक्स के बारे में भी कोर्स में जानकारी दी जाएगी और उनमें क्या-क्या बदलाव होते रहे हैं साथ ही उनमें होने वाली बीमारियों की भी जानकारी दी जाएगी. उन बीमारियों का उपचार भी बताया जाएगा.
वाइल्ड लाइफ से फार्मेसी कंपनियों तक में रोजगार
डॉ. सुरभि श्रीवास्तव का कहना है कि वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट कोटा में खुल गए हैं. स्नेक पार्क में भी ये लोग काम कर सकते हैं. इस फील्ड में भारत के अलावा विदेशों में भी काफी अच्छा स्कोप है. बायोलॉजिकल पार्क में ट्रेंड स्नेक कैचर या सरीसृप एक्सपर्ट की जरूरत होती है. इसके अलावा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट एंड डिपार्टमेंट, मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में भी इनके लिए रोजगार उपलब्ध हैं. यहां तक कि वेटरनरी डॉक्टर के साथ भी वाइल्ड लाइफ में ऐसे रेस्क्यू की जरूरत होती है, जो कि इस सरीसृप के बारे में जानकारी रखते हों. इसके अलावा वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट से जुड़े कई प्रोजेक्ट हैं जिनमें इन विद्यार्थियों के लिए काफी स्कोप है.
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फार्मेसी कंपनियों में ढेरों रोजगार
कोटा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. आरके उपाध्याय का कहना है कि विद्यार्थियों के लिए यहा काफी स्कोपफुल कोर्स है. उनका कहना है कि सर्प विशेषज्ञ विनीत महोबिया ने इस कोर्स के बारे में सुझाव दिया था. साथ ही मेडिकल कॉलेज से भी इस तरह के कोर्स की डिमांड सामने आई थी. इसके बाद उन्होंने यह कोर्स शुरू करवाया है. इस कोर्स से ज्यादातर विद्यार्थियों को रोजगार फार्मेसी कंपनियों में मिल सकता है. क्योंकि वहां पर सांप के काटने के बाद उपयोग की जाने वाली दवाएं एंटी स्नेक वेनम का निर्माण होता है. ऐसे में यह स्टूडेंट्स ज्यादा अच्छे तरीके से वहां पर काम कर सकते हैं.