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Special: चुनावी दंगल में नहीं गली दाल, अब वापस काम-धंधे पर लौटे 'नेताजी'

कोटा नगर निगम के चुनावी दंगल में बड़ी संख्या में दावेदारों ने अपनी ताल ठोंकी थी. राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए कई कामगार भी चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में कई दुकानें और काम बंद रखने के बाद अब वे वापस अपने धंधे पर लौट चुके हैं और रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं.

Many businessmen were also competing to become corporators
कई कारोबारी भी थे पार्षद बनने की होड़ में

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Published : Nov 11, 2020, 8:49 PM IST

कोटा.राजनीति में हर साल कई नए चेहरे हाथ आजमाते हैं लेकिन सफलता किसी-किसी को हाथ लगती है. नगर निगम चुनाव में इस बार कुछ ऐसा ही हुआ. कई चुनाव में पंचर की दुकान चलाने वाले, पान की दुकान और चाय वाले तक चुनावी दंगल में उतरे लेकिन हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अब वापस पने काम धंधे पर लौट आए.

पार्षद चुनाव में कई कारोबारियों ने आजमाए हाथ

ऐसा ही कुछ कोटा नगर निगम चुनाव में भी देखने को मिला. पंचर बनाने वाले, चाय और पान की दुकान चलाने वाले कारोबारी ने भी चुनावी मैदान में हुंकार भरी थी. कुछ को भाजपा और कांग्रेस ने भी टिकट दिए थे. हालांकि अधिकांश निर्दलीय ही दंगल में डटे हुए थे. अब जब चुनाव परिणाम के बाद पूरी तस्वीर साफ हो गई है. कुछ लोगों को सफलता मिली तो कुछ असफल हो गए. ऐसे में चुनाव हारने वाले अब वापस अपने काम पर लौट गए हैं.

चुनाव में लगाया गया था पूरा जोर

पंचर की दुकान चलाने वाले को भाजपा ने दिया मौका:

नगर निगम वार्ड नम्बर 4 से इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े घिसा सिंह करीब बीस साल से साइकिल पंचर की दुकान चलाते आ रहे हैं. चुनाव में उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए. चुनाव के दौरान काफी दिन दुकान बंद रही, लेकिन अब निगम का परिणाम आने के बाद अब वापस अपनी दुकान संभाल रहे हैं. कोटा के रावतभाटा रोड स्तिथ शिवपुरा निवासी घिसा सिंह ने बताया कि 20 सालों से पंचर की दुकान चला रहे हैं. साथ ही करीब 10 वर्षों से भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं. इसके चलते मुझे इस बार पार्षद प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं कुछ कमजोरी रही है जिससे लोगों ने नकार दिया, लेकिन इसके बाद भी समाजसेवी बनकर लोगों की सेवा करता रहूंगा.

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चाय की थड़ी लगाने वाले ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खेला दांव, पर मिली हार:

कोटा के महावीर नगर थाने के सामने करीब 25 सालों से चाय की थड़ी लगाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे महावीर नगर निवासी ओम प्रकाश राठौर ने भी निगम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाया लेकिन वार्ड 68 की जनता ने उनको नकार दिया. चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद अब वह वापस अपनी चाय की थड़ी लगने लगे हैं. उन्होंने बताया कि दरअसल मैंने भी निगम चुनाव में भाग्य आजमाने की कोशिश की है, लेकिन सिर्फ नाम मात्र के वोट मिले है. उन्होंने बताया कि अगर चुनाव जीतता तो सबसे पहले वार्ड को स्वच्छ और आदर्श बनाने की कोशिश करता.

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पान की दुकान चलाने वाले प्रत्याशी के मिली हार, पूर्व में रह चुके हैं पार्षद:

कोटा के कैथूनीपोल चौराहे पर दिलीप पाठक की पान की दुकान है. पिछली बार कांग्रेस से पार्षद रह चुके दिलीप को इस बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. चुनाव परिणाम आने के बाद अब वे वापस अपनी पान की दुकान पर लौट आए हैं. फिर से रोज की तरह वह समय से पान की दुकान खोलते हैं और अपना काम-धंधा चला रहे हैं.

दिलीप पाठक ने बताया कि जब वार्डो का समीकरण नहीं हुआ था तब में 68 मतों से जीता था, लेकिन अब वार्ड बदल गए हैं. ऐसे में वार्ड एक से चुनाव लड़ा जिसमें हार हुई लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में जनता की सेवा करता रहूंगा.

ऐसे में कई निकाय चुनाव के उम्मीदवार हैं जोकि पहली बार चुनाव लड़े ओर हार गए. कुछ को पार्टियों ने चुना तो कुछ ने टिकट नहीं मिलने पर किसी ने निर्दलीय चुनाव लड़कर भाग्य आजमाया लेकिन वह हार गए. वह वापस अपना कारोबार संभालने लगे हैं. कई महिला प्रत्याशियों ने भी अपना भाग्य आजमाया जिसमें कुछ को तो जीत मिली लेकिन कुछ को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे ही दादाबाड़ी निवासी गृहणी निशा कंवर ने वार्ड 41 से कांग्रेस से चुनाव लड़ीं, लेकिन वह हार गई. उनका कहना था कि कहीं गलतियां रहीं हैं तो उनको सुधारने का प्रयास करेंगी.

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