कोटा/जयपुर.एसीबी टीम ने शुक्रवार को कोटा और जयपुर में कार्रवाई की (Acb Action in Kota and Jaipur) है. एसीबी ने कोटा के जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा 50 हजार की रिश्वत ले रहे थे. एसीबी टीम ने डॉक्टर के पास से रिश्वत की राशि बरामद कर ली है.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय स्वर्णकार ने बताया कि उन्हें परिवादी ठेकेदार ने शिकायत दी थी कि जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital Superintendent arrested) में उन्होंने कार्य किया था. इसका करीब 30 लाख रुपये का बिल बकाया था. इसको देने की एवज में अधीक्षक डॉ. मीणा 1 लाख 70 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं.
एसीबी की कार्रवाई, जेके लोन का अधीक्षक रिश्वत लेता गिरफ्तार इस संबंध में परिवाद दर्ज होने के बाद शिकायत का सत्यापन करवाया गया. जिसमें रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने ट्रैप की कार्रवाई की. डॉ. मीणा ने परिवादी को रिश्वत लेकर अपने घर पर बुलाया. डॉ. मीणा आरकेपुरम इलाके में एक किराए के मकान में रह रहे थे. जहां पर परिवादी से रिश्वत की राशि ली. इसके बाद एसीबी टीम ने सीआई अजीत बागडोलिया और नरेश चौहान के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए डॉ मीणा को दबोच लिया. साथ ही रिश्वत की राशि बरामद कर ली. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने अभी खुलासा नहीं किया है कि रिश्वत की राशि किस ठेकेदार से ली गई थी.
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40 हजार रुपये प्रति महीना ले रहे रिश्वत:एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय स्वर्णकार ने बताया कि परिवादी ने शिकायत में बताया है कि डॉ. मीणा बिल को पास करने की एवज में प्रति माह 40 हजार की रिश्वत मांग रहे हैं. इसका जब सत्यापन करवाया तब डॉ. मीणा ने रिश्वत में कुल 1 लाख 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. इस रिश्वत की राशि की ही पहली किस्त लेते समय डॉ. मीणा गिरफ्तार हुए हैं. यह रिश्वत उन्होंने परिवादी ठेकेदार से लेकर कमरे की खुली ताक पर रख दी थी, जहां से एसीबी ने रुपये बरामद की है.
नवजातों की मौत के बाद हटा दिया था अधीक्षक पद से, वापस आ जमेः जेके लोन अस्पताल में साल 2020 में बच्चों की मौत का मामला उछला था. जिसमें 100 से ज्यादा बच्चों की मौत 1 महीने में हो गई थी. जबकि करीब 900 बच्चों की मौत पूरे साल में हुई थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए डॉ. मीणा को अधीक्षक पद से हटा दिया था. साथ ही उन्होंने कुछ समय बाद अजमेर ट्रांसफर भी करवा लिया था.
सरकार ने डॉ. एससी दुलारा को अधीक्षक बना दिया था, लेकिन 2021 में भी बच्चों के मौत का मामला दोबारा उछला. जिसमें डॉ. दुलारा को हटाकर डॉ अशोक मूंदड़ा को अधीक्षक बना दिया था. हालांकि डॉ. मूंदड़ा ने भी कुछ महीने बाद ही पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अधीक्षक पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद दोबारा अजमेर से कोटा ट्रांसफर करवा कर डॉ. एचएल मीणा अधीक्षक बन गए थे. मीणा सीनियर प्रोफेसर हैं. साथ ही उनके पास एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी का चार्ज भी है.
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जयपुर सहित अन्य कई जगह पर दबिश:एसीबी के पुलिस उपाधीक्षक हर्षराज सिंह खरेड़ा का कहना है कि परिवादी ने इस संबंध में शिकायत करीब 2 महीने पहले जून में दी थी. डॉ. मीणा के जयपुर और उनके गांव सहित कई जगह पर आवास हैं. एसीबी हर ठिकानों पर दबिश देकर तलाशी ले रही है. डॉ. मीणा एक नया मकान भी निर्माण कर रहे थे, ऐसे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम इसके बारे में भी सूचना एकत्रित कर रही है. दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज के सूत्रों का कहना है कि डॉ. मीणा के दोनों बच्चे भी चिकित्सक हैं और देश के बड़े प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत हैं.
सहकारी समिति की निरीक्षक कार्यकारी 15 हजार लेते गिरफ्तारःराजधानी जयपुर में एसीबी टीम ने सहकारी समितियां की निरीक्षक कार्यकारी (Inspector of Co operative Societies arrested in Jaipur) जयाकंवर शेखावत को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है. पुलिस अब उनके आवास और अन्य ठिकानों की तलाशी ले रही है. एसीबी के डीजी भगवान लाल सोनी ने बताया कि एसीबी की जयपुर नगर तृतीय इकाई को परिवादी ने शिकायत दी थी कि मकान का ऋण चुकाने में समय देने की एवज में जयाकंवर शेखावत ने 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगकर परेशान कर रही थी.
इस पर एसीबी जयपुर नगर तृतीय इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुलदीप के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन किया गया. उप अधीक्षक पुलिस राजेंद्र कुमार मीणा की टीम ने ट्रैप की कार्रवाई कर जयाकंवर शेखावत को परिवादी से 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. एसीबी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन ने बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है.