कोटा.कोविड-19 के मरीजों के ऑक्सीजन संजीवनी बनी हुई है और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर बाजार से गायब हो गया. क्योंकि पहले इसकी ज्यादा मांग नहीं होती थी, ऐसे में यह उपलब्ध भी मार्केट में सीमित ही था. हालांकि जब कोरोना अपने पीक पर हुआ, तो इन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी और तब ऑक्सीजन रेगुलेटर की जरूरत भी हुई, लेकिन बाजार से वह अचानक ही गायब हो गया और जिन भी लोगों के पास था तो वह मुंह मांगे दामों पर इसे बेचने लगे.
इसी बीच कोटा के युवा आगे आए और उन्होंने प्लास्टिक की खाली बोतल और ड्रिप चढ़ाने वाली नलची की मदद से ही जुगाड़ कर दिया और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर तैयार कर दिया. जिससे उन्होंने अब तक 25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है. वह खुद सिलेंडर लेकर मरीजों के घर सप्लाई भी कर रहे हैं. उसके साथ ही इस जुगाड़ के जरिए वह उनके रेगुलेटर की व्यवस्था भी कर रहे हैं.
खास दोस्त को जरूरत पड़ी
कैथूनीपोल लाल बुर्ज इलाके में रहने वाले अफरोज वैसे तो होजरी की दुकान संचालित करते हैं, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कर्फ्यू में उनकी दुकान अप्रैल महीने में ही बंद हो गई. इसके बाद वे अपने एनजीओ द हेल्पिंग हैंड की मदद से लोगों की सेवा में जुटे हुए थे, तभी उनके पिता की तबीयत खराब हो गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, तो वह रेगुलेटर लेने गए. एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर और रेगुलेटर वे 10 हजार रुपए देने पड़े. इसके दूसरे दिन भी मुझे रेगुलेटर की जरूरत हुई तो सेकंड हैंड दूसरे मरीज का 4 हजार रुपए में मिला. बाजार में होने वाली इस लूट से मैं भी परेशान हो गया. इसके कुछ दिनों में ही मेरे खास मित्र की भी तबीयत बिगड़ गई और उसके लिए तो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो गया, लेकिन वह पूरे रेगुलेटर नहीं मिला. मैंने ओरिजनल रेगुलर देखा और फिर हुबहू तैयार करने की मंशा से काम शुरू कर दिया.
उखड़ती सांसो को थामने के लिए किया जतन
अफरोज का कहना है कि यह कोई कमाल नहीं है, वे कोरोना महामारी के बीच हो रही कालाबाज़ारी से आहत थे. मरीजों की उखड़ती सांसों को थामने के लिए उन्होंने यह जुगाड़ का रेगुलेटर तैयार किया है. बाजार में जहां पर 800 से 1200 रुपए में मिलने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर और वॉल्व मुंह मांगे दामों पर मिल रहा है. बाजार में ऑक्सीजन रेगुलेटर कोरोना महामारी में 5 से 6 हजार रुपए तक ब्लैक में मिल रहा है.