कोटा.सरकारी मुलाजिम, जिनको हजारों रुपए महीना सैलरी सरकार से मिल रही है. इसके बावजूद वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) में सेंध लगा रहे थे और गरीबों के लिए आने वाला गेहूं डकार जाते थे. कोटा में यह खुलासा होने के बाद अब सरकारी कर्मचारियों की नींद खुल गई है. ऐसे 704 सरकारी कर्मचारी रसद विभाग ने चिन्हित भी कर लिए हैं, जिनसे रिकवरी शुरू की गई है.
कोटा के रसद अधिकारी कपिल झांझडिया का कहना है कि एनएफएसए का गड़बड़झाला पकड़ा था, जिसमें बड़े किसानों के साथ कुछ सरकारी कार्मिक भी राशन लेते हुए सामने आ गए थे. इसके बाद उन्होंने कोटा रसद विभाग को इसकी जानकारी दी और व्यापक रूप में कोटा जिले में इसकी पड़ताल शुरू हुई. मामला खुलने के बाद रसद विभाग ने पूरी लिस्ट को खंगाला. उसके बाद एनएफएसए के लिए ऐसे सभी अपात्र लोगों की सूची बनाकर नोटिस जारी कर दिए हैं.
दो रुपए किलो मिलता है गेहूं, रिकवरी 27 से
एनएफएसए में पात्रों को 2 रुपया किलो में गेंहू दिया जाता है. ऐसे में गरीबों के हिस्से को डकारने वाले इन सभी सरकारी नुमाइंदों से अब 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रिकवरी की जा रही है. अधिकारियों के अनुसार अभी तक साढ़े 8 लाख की रिकवरी हो चुकी है. रसद विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी यह सूची और लंबी होगी. क्योंकि नगर निगम से भी जानकारी मांगी गई है. इसके अलावा लिस्ट जो बनाई जा रही है, उसमें काफी काम बाकी है.
राशन से ज्यादा चूना स्वास्थ्य बीमा में लगा यह भी पढ़ेंःकोरोना की मार, मजदूर बेहाल...सीमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों पर रोजी-रोटी का संकट
करोड़ो का गेहूं डकार गए
इसमें लगभग 704 ऐसे अपात्र लोग सामने आए, जो सभी राजस्थान सरकार के किसी न किसी विभाग में कार्यरत हैं, सरकारी वेतनभोगी हैं. फिर भी इन सभी ने एनएफएसए में फर्जी जानकारी के जरिए शामिल होकर हजारों क्विंटल गेंहू ठिकाने लगा दिया. सरकारी योजना में लाभ उठाने वाले ये सभी 704 पत्र शिक्षा विभाग, लोकल बॉडी डिपार्टमेंट, पीडब्ल्यूडी, पीएचईडी सहित अन्य विभागों में कार्यरत हैं. ये सभी लोग बीते कई सालों से एनएफएसए के जरिए राशन उठा रहे थे. सरकार महंगा राशन खरीदकर एनएफएसए के लाभार्थियों को को दो रुपए किलो उपलब्ध करवाती है. इस अनुसार कोटा जिले में ही करोड़ो रुपए का गेहूं ये लोग गबन कर गए हैं.
दो रुपए किलो मिलता है गेहूं, रिकवरी 27 से राशन से ज्यादा चूना स्वास्थ्य बीमा में लगा
एनएफएसए के पात्रों को ही भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के जरिए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा भी प्राप्त है. रसद विभाग का कहना है कि कुछ सरकारी कर्मचारियों ने राशन तो सरकारी दुकान से नहीं लिया है. ऐसे में जब उन्होंने राशन नहीं लिया तो वह एनएफएसए के पात्र क्यों बन रहे. इसकी भी जांच की जा रही है. कहीं उन्होंने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने के लिए तो एनएफएसए में नाम नहीं जुड़वाया. अगर ऐसे केस भी सामने आते हैं तो इन लोगों से कैशलेस उपचार करवाने के लाखों रुपए की रिकवरी होगी.