कोटा. कैंसर से एकजुट होकर लड़ने की आवश्यकता है. इस रोग के विस्तार को रोकने के लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहें हैं. ऐसे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. कैंसर रोग विशेषज्ञों के अनुसार करीब 40 हजार मरीज हर साल हाड़ौती में कैंसर की जकड़ में आ जाते हैं. जिनमें अलग-अलग तरह के कैंसर शामिल हैं. साथ ही करीब डेढ़ लाख कैंसर के मरीज भी हाड़ौती में मौजूद हैं.
हाड़ौती संभाग में सबसे ज्यादा मुंह और जबड़े का कैंसर के मरीज सामने आते हैं, जो कि तंबाकू खाने की वजह से होता है. निचले तबके के मजदूर और मैकेनिकल लोग गुटका और तंबाकू का जबरदस्त सेवन करते हैं. उनमें कुछ समय बाद मुंह में छाला हो जाता है, फिर वह कैंसर का रूप धारण कर लेता है.
इसी तरह से कोटा के अंदर महिलाएं जो ग्रामीण परिवेश से आती हैं वह तंबाकू युक्त लाल मंजन करती है. लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से स्त्रियों को मुंह का कैंसर हो जाता है. पुरुषों में मुंह और जबड़े के कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर ज्यादातर हाड़ौती में पाया जाता है. जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर, बच्चेदानी और सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर पाया जाता है.
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चिकित्सकों का मानना है कि बीते 10 सालों में पहले अधिकतर मरीज चौथी स्टेज में ही सामने आते थे, लेकिन अब 30 से 40 फीसदी मरीज पहली और दूसरी स्टेज में ही सामने आने लगे हैं. पहले केवल 20 फीसदी मरीजों को ही बचाया जा सकता था, लेकिन अब 30 से 40 फीसदी कैंसर के मरीज ठीक हो रहे हैं. जबकि पश्चिमी देशों में 50 फीसदी मरीजों को वहां के चिकित्सक ठीक कर रहे हैं.
महिलाओं में होने वाले तीन प्रमुख कैंसर
महिलाओं में देखा जाए तो सबसे कॉमन कैंसर बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है, जो कि मुख्य लक्षण बच्चेदानी से खून आना या सफेद गंदा पानी निकलना है. इसके अलावा दूसरा स्तन कैंसर पाया जाता है. साथ ही तीसरा कैंसर बच्चेदानी का कैंसर है. वही पेट का कैंसर भी काफी मात्रा में कोटा में पाया जाता है. मुंह का कैंसर भी हाड़ौती की महिलाओं में काफी होता है, क्योंकि तंबाकू का सेवन यहां आम प्रचलन में है.
वैक्सीन से भी हो सकता है कैंसर का इलाज