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कोटाः 127वां पारंपरिक दशहरा मेला पर छाए कोरोना संकट बादल, नहीं हुई गणेश स्थापना - rajasthan news

देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण सभी त्यौहार कोरोना की भेंट चढ़ते जा रहे हैं. वहीं, कोटा में हर साल लगने वाला दशहरे के मेले का आयोजन भी कोरोना की चपेट में है. कोरोना के कारण इस बार होने वाला 127 वां दशहरे का मेला संकट में है. जिसको लेकर अंतिम फैसला सरकार करेगी.

rajasthan news, कोटा न्यूज
कोरोना की चपेट में 127 वां दशहरा मेला

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Published : Jul 21, 2020, 10:01 AM IST

कोटा.शहर में राष्ट्रीय दशहरा में इस बार कोरोना का संकट गहराया हुआ है. वहीं, दशहरा मेले में होने वाली गणेश स्थापना भी निगम ने नहीं की है. संक्रमण के दौर में मेले का आयोजन होना मुश्किल है हालांकि सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना हो सकती है. इस साल कोरोना संक्रमण के कारण रियासतकालीन परंपरा कोटा दशहरा मेला का आयोजन टल सकता है. 127वें दशहरे मेले पर संकट के बादल कोरोना के रूप में मंडरा रहे हैं. जिस तरह अभी कोटा शहर में कोविड-19 के पेशेंट सामने आते जा रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि इस बार मेले का आयोजन नहीं हो पाएगा.

कोरोना की चपेट में 127 वां दशहरा मेला

सरकार को लिखा पत्र

मेले के आयोजन को लेकर कोटा दक्षिण नगर निगम प्रशासन की ओर से राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है. उसमें स्पष्ट कहा गया है कि संक्रमण को देखते हुए मेले का आयोजन संभव नहीं है. पत्र लिखकर सरकार से आग्रह किया गया है कि मेले के आयोजन की सालों की परंपरा चली आ रही है. यह परंपरा कायम रखने के लिए मेले के उद्घाटन से लेकर समापन तक सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए. अंतिम फैसला सरकार के स्तर पर होगा. ऐसे में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते इस बार 127 सौराष्ट्र दशहरे मेले के आयोजन को लेकर संशय से चल रहा है.

एक महीने चलने वाले दशहरे के मेले में लाखों लोगों की रहती है तादात

कोटा के राष्ट्रीय दूसरे मेले की पहचान राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है. रियासत काल से बिना रुकावट से पिछले साल तक 126 वें मेले का आयोजन हुआ है. मेले में लाखों लोगों की तादाद रहती है. इस साल 127 वा मेला भरा जाना है. दशहरा मेला अक्टूबर में बड़ा जाना प्रस्तावित है. वहीं, रावण दहन 25 अक्टूबर को होगा.

round-1 के कार्यक्रम में हर साल एक लाख से भी ज्यादा लोग एकत्रित होते हैं और हजारों की संख्या में भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी में शामिल होते हैं. समापन पर भी करीब डेढ़ लाख लोगों की मौजूदगी रहती है. मेले में प्रतिदिन औसत 70 हजार के करीब लोग जमा रहते हैं. हालांकि सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना हो सकती है.

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