जोधपुर. राजस्थान सरकार द्वारा मनरेगा कर्मचारियों को समय पर पैसा और काम देने की बात करने का दावा किया जाता है. हाल ही में कोरोना के दौरान बाहर से आए प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा योजना के तहत काम दिया गया, लेकिन मनरेगा योजना में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा प्रतिदिन हाजरी के रूप में तय किया गया पैसा नहीं दिया जाता.
सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन काम के बदले 200 से 220 रुपये देने होते हैं, लेकिन केरू ग्राम पंचायत में काम करने वाली महिलाओं को सिर्फ 50 से 70 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं. जिससे महिलाएं काफी परेशान है. साथ ही पैसे कम मिलने की वजह से वह लोग काम भी नहीं कर पा रही. मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि जब सरकार ने प्रतिदिन रोजगार भत्ते के रूप में 220 रुपये तय किए हैं, लेकिन फिर भी उनके खाते में 70 रुपए प्रति दिन के हिसाब से पैसा आता है.
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वहीं, दूसरी तरफ मनरेगा कर्मचारियों की इंचार्ज जिसे ग्रामीण इलाकों में मेड कहा जाता है. उनका कहना है कि केरू ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत काम करने वाली महिलाओं को तालाब खोदने का काम दिया गया है. एक समूह में 5 महिलाएं होती हैं. जिन्हें 10 फीट लंबाई, 10 फीट चौड़ाई और 1 फीट गहराई तक उन्हें तालाब खोदने पर पूरी हाजिरी मिलती है, लेकिन कंकड़ और मिट्टी होने के कारण वे पूरी खुदाई नहीं कर पाती और केरू ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत तालाब खोदने वाली महिलाओं को पैसा पूरा नहीं मिल रहा.