राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

जोधपुर की वो गौशाला जहां गोबर से बनती हैं लकड़ियां, अब अंतिम संस्कार में भी आएंगी काम

जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में स्थित पन्नालाल गौशाला में लगभग 4 हजार से ज्यादा गाय रहती हैं. इस गौशाला में सिर्फ बीमार, अपंग और नेत्रहीन गायों को ही रखा जाता है. अब इस गौशाला ने एक नई पहल शुरू की है. जिसके तहत इस गाय के गोबर की लकड़ी बनाने का काम शुरू किया गया है.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
पन्नालाल गौशाला में बनती है गाय के गोबर से लकड़ियां

By

Published : Jul 13, 2020, 10:59 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 8:28 AM IST

जोधपुर.जिले के मंडोर क्षेत्र से पन्नालाल गौशाला जिस की स्थापना साल 1875 में हुई थी यहां वर्तमान समय में लगभग 4 हजार से अधिक गाय हैं. इन सभी की यहां उत्तम देखभाल की जाती है. इस गौशाला की विशेषता है कि यहां बीमार अपंग और नेत्रहीन गायों को ही रखा जाता है और उनकी अच्छे से देखभाल की जाती है, लेकिन अब इस गौशाला में गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू हुआ है जिसका उपयोग श्मशान घाट सहित अन्य जगहों पर किया जाएगा.

पन्नालाल गौशाला में बनती है गाय के गोबर से लकड़ियां

गौशाला में स्थित है बॉयलर मशीन

खास बात है कि गोबर से बनी लकड़ी का उपयोग करने से वातावरण में वायु प्रदूषण नहीं होगा. गौशाला के ट्रस्टी का कहना है कि उनकी ओर से पटियाला से एक बॉयलर मशीन मंगाई गई है, जिसमें गाय के गोबर को डालकर उसे 2 से 3 फीट लंबी लकड़ी का रूप दिया जा रहा है. मशीन से तैयार होने वाली गोबर की लकड़ी को 2 से 3 दिन तक सुखाया जाता है. उसके बाद उसे काम में लिया जा सकता है. पन्नालाल गौशाला ने अपनी गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस गौशाला में मेड इन इंडिया की काऊ डंग लॉन्ग मशीन को स्थापित किया गया है. जिसके बाद अब इस गौशाला को संचालन करने के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी. बता दें कि हाल ही में इस मशीन का विधि विधान से उद्घाटन किया गया.

पन्नालाल गौशाला में मौजूद है लगभग 4 हजार गाय

पेड़ की लकड़ी से होता है प्रदूषण

गौशाला के ट्रस्टी का कहना है कि मरणोपरांत श्मशान घाट में दाह संस्कार में जो लकड़ी काम में ली जाती है 8 से 10 रुपए प्रति किलो में मिलती है. साथ ही एक दाह संस्कार में लगभग 400 से 500 किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है और लकड़ियों से निकलने वाले धुंए से कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है, लेकिन गोबर से बनी हुई लकड़ियों के जलने पर उसमें से ऑक्सीजन निकलती है जिससे वायु प्रदूषण नहीं होगा. उन्होंने कहा कि गोबर से बनी लकड़ियों की कीमत सिर्फ 5 से 6 रुपए प्रति किलो ही रहेगी.

हाल ही में हुआ है मशीन का उद्घाटन

रोजाना बनती है 3 से 4 हजार किलो गोबर की लकड़ियां

गौशाला की ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों ने बताया कि इस मशीन के आने के बाद से ही गौशाला में गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. इस मशीन से रोजाना 3 हजार से 4 हजार किलो गोबर की लकड़ियां बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में इस गौशाला में 4 हजार से अधिक गाय हैं और एक गाय प्रतिदिन 10 किलो गोबर करती है और अब उस गोबर का इस्तेमाल गौशाला की ओर से गोबर की लकड़ी बनाने के लिए किया जाएगा. जिससे कि वन संरक्षण भी होगा और वातावरण को भी शुद्ध बनाया जा सकेगा और गौशाला का खर्चा भी निकाला जाएगा. साथ ही एक गाय की ओर से प्रतिदिन किए जाने वाले गोबर से ढाई से 3 किलो की लकड़ी बनाई जाएगी.

गाय के गोबर से बनाई जाती है लकड़ियां

यह भी पढ़ें-जोधपुर में रविवार को सामने आए 156 नए कोरोना मरीज, एक संक्रमित की हुई मौत

गोबर की लकड़ियों को दो दिन सुखाया जाता है धूप में

अंतिम संस्कार में भी कर सकेंगें इस्तेमाल

उन्होंने बताया कि गौशाला में काम करने वाले लोगों की ओर से गोबर को एकत्रित किया जाता है और उसके बाद उसे एक जगह पर इकट्ठा कर बॉयलर में डाला जाता है. बॉयलर का निकासी हिस्सा गोलनुमा आकार का है जिससे की गोबर एक लकड़ी के आकार का बना हुआ बाहर निकलता है और फिर उसे धूप में सुखाने के लिए रखा जाता है और फिर 2 दिन तक धूप में सुखाने के बाद गोबर की लकड़ी तैयार हो जाती है.

देखा जाए तो श्मशान घाट में अंतिम संस्कार सहित अन्य कामों के लिए लकड़ियों को जंगलों से पेड़ों को काटकर लाया जाता है और अब जंगलों से लकड़ी काटने से देश और राज्य के कई जंगल खत्म होने की कगार पर पहुंच गए हैं, लेकिन जोधपुर के पन्नालाल गौशाला में गायों के गोबर से लकड़ी बनाने वाली इस मशीन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. गोबर से बनने वाली लकड़ी को अब अंतिम संस्कार करने सहित अन्य कामों में भी उपयोग में लिया जाएगा जिससे कि प्रदूषण में कमी हो और पेड़ों की कटाई भी कम हो.

Last Updated : Jul 14, 2020, 8:28 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details