जोधपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Petition) की सुनवाई के दौरान अलग ही स्थिति बन गई. लड़की ने एक 40 साल के शख्स से अपनी मर्जी से शादी करने की बात कही. लड़की ने दावा किया कि वह बालिग है. उसने घरेलू नाम ही बताया जबकि स्कूल दस्तावेज में उसका दूसरा ही नाम है और वो इससे इनकार करती रही.
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने जोधपुर की देवनगर थाना पुलिस को निर्देश दिये हैं कि एमडीएम अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से उसकी उम्र का सत्यापन कराया जाए. इसकी रिपोर्ट 22 जुलाई 2021 को न्यायालय के समक्ष पेश की जाए.
पढ़ें:Rajasthan High Court: नर्सिंग, अराजपत्रित स्टॉफ के रिक्त पद भरने के लिए उठाएं कदम, अस्पतालों में नियुक्त किए जाएं बायो-मेडिकल इंजीनियर और अस्पताल प्रबंधन विशेषज्ञ
अधिवक्ता उमेश कल्ला ने बताया कि याचिकाकर्ता की नाबालिग बहन को मदनलाल शादी की नीयत से भगा ले गया और उससे विवाह कर लिया. पुलिस ने दोनों को मुम्बई से दस्तयाब कर लिया. न्यायालय के समक्ष लड़की को पेश किया गया तो उसने कहा कि वो बालिग है और अपनी मर्जी से विवाह किया है.
उसने घरेलू नाम से बने आधार कार्ड को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए खुद को बालिग बताया. वहीं परिजनों ने स्कूल रिकॉर्ड पेश किया, जिसमें उसका अलग ही नाम था और उम्र भी नाबालिग ही थी. ऐसे में स्कूल रिकॉर्ड को देखते हुए न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से उम्र सत्यापन के निर्देश दिये हैं.