जोधपुर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक बार फिर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर अवैध तरीके से जनप्रतिनिधियों के टेलीफोन टैप करने के आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है.
शेखवात ने कांग्रेस के विधायक की ओर से फोन टैपिंग के आरोप लगाए जाने के बाद यह बात कही. जोधपुर प्रवास के दौरान रविवार को मीडिया के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पिछले साल जब फोन टैपिंग प्रकरण सामने आया था, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में और मीडिया के सामने कहा था कि राजस्थान में यह परंपरा नहीं है. लेकिन बाद में विधानसभा में उन्हीं के मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि हमने लीगल तरीके से टेलीफोन टैप किए हैं.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह से खास बातचीत फोन टैपिंग पर मुख्यमंत्री दें स्पष्टीकरण
शेखावत ने कहा कि मेरी जानकारी में आया है कि कांग्रेस पार्टी के ही कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत की है कि उनके टेलीफोन टैप किए जा रहे हैं. यह वैध किया जा रहा है या अवैध किया जा रहा है, मुझे लगता है कि राज्य सरकार और कांग्रेस की मुखिया को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए.
पढ़ें -फोन टैपिंग विवाद: वेद सोलंकी के आरोपों को खाचरियावास ने बताया BJP-RSS का षडयंत्र, कहा- न फोन टैपिंग पहले हुई और न अब हो रही
पायलट पर अमर्यादित टिप्पणियां जगजाहिर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सचिन पायलट को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत और उनके सिपहसलारों ने जो टिप्पणी की है, वह जगजाहिर है. आज उनको लेकर जिस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं, वह भी जगजाहिर है. पायलट जब नाराज होकर चले गए थे तो उस समय उनके बारे में किस तरह का अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया. उनको गद्दार, भगौड़ा, धोखेबाज, नकारा, नाकाबिल, निकम्मा तक कहा गया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पायलट और गहलोत फिर एक बार गलबहियां करते हुए दिखाई दिए और अब जब दूरियां वापस बढ़ने लगी हैं. अबकी बार उनको क्या उपनाम और पदवियां दी जाएंगी, इसकी तैयारी लगता है सचिन पायलट ने भी कर ली होगी.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह भी लगा चुके हैं फोन टैपिंग के आरोप
गौरतलब है कि विगत वर्ष कांग्रेस सरकार के सियासी संकट के दौरान एक ऑडियो वायरल हुआ था. कहा गया था कि आवाज केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की है. इसके बाद प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई थी. शेखावत ने ऑडियो की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे और दिल्ली में मामला दर्ज भी कराया था. कहा गया था कि अगर यह केंद्रीय मंत्री की आवाज है तो इस बात का उत्तर दिया जाए तो केंद्रीय मंत्री के फोन को टैप कैसे और किसकी अनुमति से किया गया.