जोधपुर. कच्ची उम्र में बाल विवाह के अभिशाप से दो बालिका वधुओं पूजा और शीला (बदला हुआ नाम) को सारथी ट्रस्ट की डॉ.कृति भारती की मदद से मुक्ति मिल गई. पारिवारिक न्यायालय संख्या 3 के न्यायाधीश शंकरलाल मारू ने सोमवार को बालिका वधु पूजा और शीला के बाल विवाह निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. पूजा अब बालिग हो चुकी है जबकि शीला की उम्र अभी 16 साल ही है. अपने जीवन की सबसे बड़ी जीत का फैसला सुन पूजा और शीला के खुशी के आंसू छलक पड़े.
जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की डॉ.कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया था. वो अब तक राजस्थान में 45 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवा चुकी हैं. इसके अलावा उनके नाम 1500 से अधिक बाल विवाह रूकवाने के लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया सहित आधा दर्जन से अधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं. डॉ.कृति की साहसिक मुहिम को सीबीएसई पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है. डॉ.कृति भारती का नाम वर्ल्ड टॉप टेन एक्टिविस्ट में भी शुमार है. उन्हें मारवाड़ और मेवाड़ रत्न सहित कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है.
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पूजा ने धमकियों का सामना किया:20 साल की पूजा के पिता ड्राइवर हैं. साल 2014 में 12 साल की पूजा का बाल (Two child marriages anulled in Jodhpur) विवाह समाज के दबाव में आकर कर दिया गया था. इन 8 सालों में जाति पंचों और अन्य की ओर से लगातार गौना करवाने के लिए दबाव बनाया जाता रहा. उसे और उसके परिजनों को धमकियां दी जाती थी. पूजा ने सेल्फ डिफेंस कोर्स किया उसकी नेशनल चैंपियन बन गई. वो अब आईएएस बनना चाहती हैं. पढ़ाई के दौरान ही उसे कृति भारती के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद पूजा ने उनसे मिलकर अपना बाल विवाह निरस्त करने के लिए परिवाद दायर किया.
शीला 7 साल में बाल विवाह के बंधन में बंधी:16 साल की शीला के पिता मजदूर हैं. शीला का बाल विवाह 7 साल की आयु में हुआ था. इलके बाद भी उसके परिजनों पर समाज काफी दबाव बनाता था. 9 सालों तक परिवार समाज के दबाव में घुट-घुट कर जीता रहा. शीला की सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती से स्कूल के एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में मुलाकात हुई. उसने अपने बाल विवाह की पीड़ा बयां की, जिस पर डॉ.कृति ने शीला के घर वालों को समझा कर बाल विवाह निरस्त करने के लिए राजी किया. बाद में डॉ. कृति के साथ शीला ने पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त का परिवाद दायर किया. डॉ.कृति ने कोर्ट को बाल विवाह निरस्त के तथ्यों और दस्तावेजों से अवगत करवाया. जिसके बाद उसे बाल विवाह के अभिशाप से आजादी मिल गई.