कोटा. कुछ कर दिखाने का हौसला हो तो हर बाधा अवसर में बदल जाती है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आए हैं सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित छात्र तुहिन डे. कोटा में रहकर निजी इंस्टीट्यूट से तीन साल तक इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के बाद अब तुहिन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलाॅजी (आईआईईएसटी) शिबपुर पश्चिम बंगाल से इनफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी की पढ़ाई करेगा.
तुहीन ने जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक 438 प्राप्त की है. सेरीब्रल पाल्सी तुहिन के शरीर में ऑर्थो ग्रिपोसिस मल्टीप्लेक्स काॅन्जीनेटा विकार है. जिसमें मांसपेशियां इतनी कमजोर होती हैं कि शरीर का भार नहीं उठा सकती. तुहिन न हाथ हिला सकता है और न अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. सिर्फ गर्दन से ऊपर सिर का हिस्सा सक्रिय रहता है.
स्टीफन हाॅकिन्स मानता है आदर्शः
इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-एडवांस्ड की तैयारी करने अपने पैत्रिक नगर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर से कोटा आए तुहिन ने शारीरिक विकारों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सामान्य विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई की और सफलता हासिल की. ख्यातनाम भौतिक विज्ञानी स्टीफन हाॅकिन्स को आदर्श मानने वाला तुहिन उन्हीं की तरह एस्ट्रो फिजिक्स में शोध करना चाहते हैं. हाथ-पैर साथ नहीं देने के बावजूद तुहिन मुंह से मोबाइल और कम्प्यूटर ऑपरेट करते हैं. काॅपी में लिखते भी हैं. यही नहीं सामान्य विद्यार्थियों से ज्यादा बेहतर कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग के बारे में वे जानते हैं.
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तुहिन ने कहा कि कोटा में जो सोचकर आया था वो सबकुछ मिला, जितना सोचा था उससे भी ज्यादा सपोर्ट मुझे मिला. कोचिंग संस्थान ने पूरी तरह से ध्यान रखा. न केवल निशुल्क पढ़ाया, मुझे लाना-ले जाना, रहना और मेरी पढ़ाई से संबंधित हर बात का ध्यान निजी कोचिंग के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने रखा. समय-समय पर काउंसलिंग होती रही. मेरे लिए सामान्य बच्चों के साथ क्लास में अलग से टेबल चेयर का प्रबंध करवाया, मुझे क्लास तक लाने और ले जाने के लिए हेल्पर भी रहते थे.
कोटा आने के पीछे तुहिन ने बताया कि उसने खुद इंटरनेट पर देश में बेस्ट इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए कोटा का चयन किया. पहले कोटा और फिर यहां के इंस्टीट्यूट के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ली और कोटा में कोचिंग में एडमिशन लेने का मन बनाया. इस बारे में अपने माता-पिता को बताया. तुहिन ने कहा कि यहां देश के बेहतरीन इंस्टीट्यूट हैं और अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं. यहां के टीचर्स भी बेस्ट हैं.
न्यूरोपैथी से इलाज भी करवायाः
निजी इंस्टीट्यूट के सहयोग से तुहीन का इलाज भी करवाया गया. न्यूरोपैथी के जरिए मुंबई के विख्यात डाॅ. लाजपत राय मेहरा के मुम्बई स्थित सेंटर में इलाज करवाया. इसके बाद डाॅ. लाजपत राय मेहरा की ओर से प्रशिक्षित टीम के सदस्यों ने तुहिन को थैरेपी दी और परिजनों को थैरेपी देना सिखाया. तीन साल तक कोटा में रहने के दौरान इलाज के बाद अब थैरेपी परिजनों की ओर से जारी रखी जाएगी. इस थैरेपी के बाद तुहिन ने शरीर में बदलाव भी महसूस किया.
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