जोधपुर:जोधपुर (Jodhpur) शहर पर्यटन की दृष्टि से पूरे विश्व में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. विश्व के 10 सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में ब्लू सिटी का नाम शुमार है. पर्यटकों का आने का एक कारण यहां के लोक कलाकार (Folk Singers Of Jodhpur) भी हैं. जिन्हें देखने, सुनने और राजस्थान की लोक संस्कृति को बूझने देश-विदेश से लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं.
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जोधपुर शहर के लोक कलाकारों की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध लंगा कलाकार (Langa) हैं इनकी स्वर लहरियों के कद्रदान सात समंदर पार तक हैं. बड़े चाव से इन्हें सुनने आते रहे हैं. लेकिन कोरोना (Corona) की मार ऐसी पड़ी है कि न पर्यटक आ रहे हैं न ही ये मंझे हुए कलाकार अपना हुनर दिखाने कहीं बाहर जा पा रहे हैं. एक साल बाद उम्मीद जगी है लेकिन वो भी ऊंट के मुंह में जीरे समान.
लंगा मांगणियार (Langa Manganiyar) लोक कलाकार (Langa Folk Singers) वो हैं जो अपनी गायकी में ही बहुत कुछ समेटे हैं. कथा, गाथा और वार्ता का अनुपम समागम होता है इनके गायन में. गौरव गाथा से लेकर करुण रस का खरा और खारा अंदाज इन लोक कलाकारों की पहचान है. कठिन से कठिन राग पर इनकी पकड़ का ही नतीजा है कि दुनिया इन हुनरमंदों का लोहा मानती है. कई बड़े कलाकार दिए हैं इस Community ने. लेकिन ये भी सच है कि जीवन इससे ही नहीं चलता बल्कि धोरों के इन धुरंधरों को रोजी रोटी भी दरकार है. इस बिगड़े दौर में दो जून की रोटी का जुगाड़ बड़ा तकलीफदेह हो रहा है.
जोधपुर के लंगा कलाकार
जोधपुर शहर के मसूरिया क्षेत्र इलाके में बलदेव नगर क्षेत्र में एक लंगा बस्ती बनी हुई है. यहां पर लगभग 250 से 300 लंगा कलाकार और उनके परिवार का बसेरा है. कोरोना वैश्विक महामारी से पहले इन सभी कलाकारों के पास काम था और यह अलग-अलग राज्यों सहित अलग-अलग देशों में जाकर अपनी प्रस्तुतियां दे रहे थे.
वैश्विक महामारी के बाद से ही इन सभी कलाकारों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है. जोधपुर के प्रसिद्ध लंगा कलाकार महबूब खान ने बताया कि वैश्विक महामारी के चलते उनका पूरा काम ठप हो चुका है. ऐसे में अब उन्हें किसी प्रकार का कोई नया काम नहीं मिल रहा. शादी ब्याह में भी आने वाले मेहमानों की संख्या सीमित होने के चलते अब शादी ब्याह में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता. साथ ही कार्यक्रमों पर रोक होने के कारण ये स्थानीय कार्यक्रम भी नहीं कर पा रहे.
अपनी समस्याओं से जूझ रहे कलाकार कहते हैं कि उनका रोजगार पूरी तरह से ठप हो चुका है. अनलॉक से कुछ उम्मीद थी. लेकिन फिलहाल राहत नहीं मिली है. चूंकि गायकी पेशा है, जुनून भी और जरूरत भी सो बड़े मंच के ये कलाकार गले को मांझ रहे हैं घर के आंगन में बैठ कर.