धपुर. राजस्थान का एक ऐसा हत्याकांड जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रख दिया था. एएनएम भंवरी देवी (ANM Bhanwari Devi) का केस भी उस समय की राजनीति पर काली छाया की तरह साबित हुआ.
भंवरी देवी के अपहरण और हत्या के मामले में फिलहाल लूणी के पूर्व विधायक मलखान सिंह विश्नोई (Former MLA Malkhan Singh Vishnoi)को जमानत मिल गई. मलखान को 9 साल 8 महीने बाद जमानत मिली है. लेकिन जिस राजनीतिक करियर को मलखान ने ऊंचाई देने के लिए भंवरी के अपहरण और हत्या की साजिश रची वो इस सनसनीखेज हत्याकांड और उसके बाद हुई कानूनी कार्रवाई के दौरान खत्म हो गया.
मलखान सिंह बिश्नोई अपने पिता रामसिंह विश्नोई (Ram Singh Vishnoi) के मंत्री रहते हुए ही राजनीति में सक्रिय हो गया था. इस दौरान उसका संपर्क भंवरी से हुआ था. भंवरी के साथ मलखान के संबंध भी बन गए. ये संबंध लगातार बहुत घनिष्ठ होते चले गए. मलखान सिंह ने ही भंवरी की मुलाकात महिपाल मदेरणा से करवाई थी, क्योंकि दोनों दोस्त थे.
भंवरी अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर इतनी उतावली थी कि उसने मलखान के साथ-साथ महिपाल (Former Minister Mahipal Maderna) से भी संबंध बना लिये. लेकिन मलखान से उसकी निकटता जगजाहिर थी. इस पर सीबीआई ने उस समय आधिकारिक मुहर लगा दी थी जब भंवरी की एक संतान का डीएनए टेस्ट कराया. इस टेस्ट में मलखान भंवरी की बेटी का पिता निकला. अपनी संतान को मलखान से बराबर का हक दिलाने की चाहत और महत्वकांक्षा ने ही इस प्रकरण का बीज बोया था.
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भंवरी अपनी संतान को लेकर ज्यादा चिंतित थी. उसने मलखान पर दबाव बनाया कि वह भंवरी की बेटी को संतान का दर्जा दे. भंवरी अपने परिचितों में मलखान का परिचय अपनी संतान के पिता के रूप में करवाने लगी. इस दौरान मलखान विधायक बन गया और दूसरी तरफ महिपाल राज्य सरकार में मंत्री.