जोधपुर.शहर में हर दिन कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, लेकिन यहां के श्मशानों में इंदौर, अहमदाबाद और पटना जैसे दृश्य नजर नही आते है. क्योंकि यहां कोविड के लिये कोई सरकारी शमशान नहीं है. यहां रियासत काल से ही जातिगत शमशान की व्यवस्था रही है. जिसके चलते प्रत्येक जाति के अपने-अपने श्मशान हैं. जहां लोगों के अंतिम संस्कार होते हैं. हालांकि हिंदू सेवा मंडल एक ऐसी संस्था है जिसके श्मशान में किसी को भी अंतिम संस्कार करने की मनाही नहीं है.
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पिछले साल जातिगत श्मशान में काम करने वाले लोगों ने कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था. जिसके बाद उनके अंतिम संस्कार हिंदू सेवा मंडल ने किए थे. कोरोना की वजह से मृतकों की बढ़ती संख्या ने प्रशासन को भी हिला दिया है. प्रशासन की सलाह पर हिंदू सेवा मंडल ने अपने श्मशान में चिताओं की लकड़ी का स्टॉक कर लिया है. इसके अलावा नए प्लेटफार्म बनाने की भी कवायद शुरू कर दी है.
जिला प्रशासन का प्रयास है कि कोविड-19 शव का अंतिम संस्कार सभी जगह न होकर एक या दो जगह हो. ऐसे में ओसवाल समाज के विद्युत शवदाह गृह का उपयोग भी किया जा रहा है, लेकिन एक ही विद्युत शवदाह गृह होने से यहां पर भी दबाव बना हुआ है. इसके उलट करीब 15 साल पहले जोधपुर नगर निगम ने हिंदू सेवा मंडल के श्मशान में ही विद्युत शवदाह गृह लगाया लेकिन वह निगम की ओर से रखरखाव नहीं होने से वह पूरी तरह से खत्म हो गया है. यही कारण है कि अब लकड़ियों का सहारा लेना पड़ेगा.