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जोधपुर: प्रत्याशियों की सूची जारी न करने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष, विधायक पर लगाए ये आरोप

जोधपुर निगम चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पुत्र वैभव गहलोत को भी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी. इसके लिए उन्होंने बड़ा आयोजन कर दावेदारों से मुलाकात भी की थी. लेकिन नतीजा निकला वही ढाक के तीन पात. अब तक प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं होने से कांग्रेसियों में असंतोष बढ़ने लगा है.

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चुनाव में प्रत्यशियों की सूची जारी नहीं करने का साइड इफेक्ट

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Published : Oct 21, 2020, 6:34 PM IST

जोधपुर.निगम चुनाव में पहली बार ऐसे हालात हुए हैं कि कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची तक जारी नहीं कर पाई है. कई नेताओं ने अपने-अपने चहेतों को टिकट की गारंटी देकर नामांकन भरवाए, लेकिन अधिकांश खारिज हो गए. अब वो सभी कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. क्योंकि पार्टी के नाम पर एक ही नामांकन दाखिल किया था. ऐसे में उनमें असंतोष भी बढ़ रहा है.

चुनाव में प्रत्यशियों की सूची जारी नहीं करने का साइड इफेक्ट

कुछ कार्यकर्ता दबी जुबान में नेताओं पर मनमर्जी का आरोप लगा रहे हैं तो कुछ खुलकर बाहर आ गए हैं. नगर निगम उत्तर क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट मांगने वाले पुराने कार्यकर्ता कल्पेश सिंघवी ने विधायक मनीषा पंवार पर आरोप लगाया कि वह दादागीरी कर रही हैं. इधर, बीजेपी ने भी कांग्रेस पर तंज कसना शुरू कर दिया है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कार्यकर्ता खुद निराश हैं, उन्हें पता नहीं है कि आखिरकार अंतिम रूप से प्रत्याशी कौन होगा?

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ऐसा माना जा रहा है कि दोनों निगमों में कांग्रेस के करीब 45 से 50 बागी मैदान में रहेंगे, जिन्होंने संगठन के कहने पर कांग्रेस से नामांकन भरे. लेकिन साथ में निर्दलीय का भी नामांकन दाखिल किया है. लेकिन उन्हें कांग्रेस का सिंबल नहीं मिला. वे अब पार्टी से टिकट की दौड़ से बाहर हो चुके हैं. ऐसे में वे बतौर निर्दलीय मैदान में रहेंगे. ऐसे कार्यकर्ताओं की मान-मनौव्वल भी शुरू हो गई है. लेकिन ऐसे ज्यादातर युवा कार्यकर्ता नेताओं से दूरी बनाकर शहर से बाहर बैठे हैं.

इधर, नामांकन के बाद विधायक मनीषा पंवार ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि हम सभी असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मना लेंगे, कोई भी बागी नहीं रहेगा. कांग्रेस में उभरे असंतोष का असर पार्टी के कार्यालय पर भी नजर आता है. शहर में आठ दिन बाद चुनाव है, लेकिन कार्यालय सूना पड़ा है.

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